Depression causes stroke: आधुनिक समय में दुनिया भर के करोड़ों इंसान डिप्रेशन से पीड़ित है।
यह मानसिक समस्या किसी भी इंसान का जीवन तबाह कर सकती है।
अब एक नई स्टडी ने डिप्रेशन के लक्षण वालों को स्ट्रोक पड़ने का अधिक ख़तरा पाया है।
यह ख़तरा दुनिया भर में और विभिन्न आयु वालों को एक समान जाना गया है।
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इस बारे में अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी की पत्रिका ‘न्यूरोलॉजी’ ने जानकारी दी है।
स्टडी रिसर्चर्स ने डिप्रेशन के लक्षण वालों को स्ट्रोक के बाद ठीक होने की संभावना भी अत्यंत धीमी पाई है।
यह स्टडी यूरोप, एशिया, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका आदि 32 देशों के 26,877 लोगों पर हुई थी।
उनकी औसत आयु 62 वर्ष थी और 13,000 से अधिक को स्ट्रोक पड़ा था।
पीड़ितों के स्वास्थ्य का मिलान उतनी ही उम्र, जाति और नस्ल के स्ट्रोक रहित 13,000 से अधिक लोगों संग किया गया।
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रिसर्चर्स ने स्टडी से एक वर्ष पहले उनके हृदय स्वास्थ्य और डिप्रेशन लक्षणों के बारे में जानकारी एकत्र की।
स्टडी में शामिल लोगों में से, स्ट्रोक रहित 14% लोगों की तुलना में स्ट्रोक पीड़ित 18% मरीज़ों में डिप्रेशन के लक्षण थे।
जीवन शैली के अन्य पहलुओं को देखने के बाद, स्ट्रोक से पहले के डिप्रेशन पीड़ितों को अन्यों की तुलना में स्ट्रोक पड़ने का जोखिम 46% अधिक था।
ग़ौरतलब था कि डिप्रेशन के लक्षणों में वृद्धि से स्ट्रोक होने का अंदेशा भी अधिक जाना गया।
जबकि डिप्रेशन के लक्षण नहीं दिखने वालों में अधिक गंभीर स्ट्रोक होने की संभावना नहीं थी।
परिणाम बताते है कि डिप्रेशन न केवल ख़राब मानसिक स्वास्थ्य बल्कि स्ट्रोक का ख़तरा भी बढ़ाता है।
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