Well‐Being and Cardiovascular Health: आपने ‘संतोषी सदा सुखी’ कहावत जरूर सुनी होगी।
इस कहावत की सच्चाई पर चीन के मेडिकल साइंटिस्टों ने भी मुहर लगाई है।
उनकी नई स्टडी ने जीवन में संतुष्ट रहने वाले इंसानों को दिल की बीमारियां होने की कम आशंका पाई है।
स्टडी में यूके बायोबैंक के 121,000 से अधिक इंसानों के हेल्थ डेटा और लाइफस्टाइल को देखा गया था।
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विश्लेषण में बेहतर संतुष्टि का संबंध दिल-संबंधी समस्याओं के खतरे में उल्लेखनीय कमी से जुड़ा मिला।
अधिक जीवन संतुष्टि वालों का स्वास्थ्य बेहतर और रोगजनक सूजन के स्तर में भी कमी पाई गई।
साइंटिस्टों की टीम ने दोस्ती, स्वास्थ्य, धन-संपत्ति, पारिवारिक शांति जैसे मुद्दों से जीवन-संतुष्टि का निर्धारण किया।
इसके बाद स्ट्रोक, कोरोनरी हार्ट डिजीज, हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर जैसी समस्या वालों को देखा गया।
स्वस्थ लाइफस्टाइल से जुड़े सुखद नींद, अच्छी डाइट, एक्सरसाइज आदि पहलुओं के बारे में भी छानबीन हुई।
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पता चला कि जीवन में खुश और अधिक संतुष्ट रहने वालों की लाइफस्टाइल स्वस्थ आदतों से भरी हुई थी।
अपने जीवन में संतुष्ट और खुश रहने वालों में रोग पैदा करने वाली सूजन कम थी। इससे उन्हें दिल की बीमारियों का कम खतरा था।
संतुष्ट और खुशहाल जीवन जीने वालों को हार्ट अटैक और स्ट्रोक पड़ने का डर क्रमश: 21% और 14% कम था।
कैंसर व डायबिटीज पीड़ितों को खुश रहने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा क्रमश: 17% और 11% कम रहा।
नतीजों का कहना था कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का दिल की सेहत पर गहन प्रभाव पड़ता है।
सामाजिक मेलजोल, एक्सरसाइज और संतुष्टिदायक काम या शौक से संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर रखने में मदद मिलती है।
स्टडी ने डॉक्टरों को दिल-संबंधी समस्याओं में मानसिक स्वास्थ्य को भी अत्यंत प्रभावी मानने की सलाह दी।
इस बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी जर्नल ऑफ़ अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन से मिल सकती है।
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