सुनने में अटपटा लग सकता है, लेकिन एक स्टडी के वैज्ञानिकों ने इसे सही ठहराया है।
उनके अध्ययन के मुताबिक, हल्के से मध्यम पार्किंसन रोग (Parkinson’s Disease) वाले प्रति सप्ताह एक घंटे से ज्यादा की संगीत वाली डांस (Dance) प्रैक्टिस में भाग लेकर बीमारी की गंभीरता को कम कर सकते है।
ब्रेन साइंसेज पत्रिका में प्रकाशित यह अध्ययन लगभग तीन वर्षों तक चला।
इस दौरान मरीजों ने डांस करके रोग की प्रगति को धीमा किया। एक्टिविटी करने से उनके शारीरिक संतुलन और बोलचाल में भी सुधार हुआ।
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बताते चलें कि पार्किंसंस रोग नर्वस सिस्टम से जुड़ी ऐसी बीमारी है, जो कई शारीरिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। इससे हाथों में कंपकंपी, हिलना, शरीर में अकड़न या चलना-फिरना धीमा हो सकता है।
कनाडा की यॉर्क यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने डांस क्लास में भाग लेने वाले पार्किंसन पीड़ितों की सेहत और बीमारी में, ऐसा कुछ न करने वालों के मुकाबले बोलने, कंपकंपी, संतुलन और अकड़न संबंधित हिस्सों में महत्वपूर्ण सुधार होते देखा।
इसके अलावा, ठीक होते मरीजों की दिमागी कार्य कुशलता, मतिभ्रम, डिप्रेशन और उदासी पर भी संगीत के साथ डांस करने से जबरदस्त सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
अध्ययन में शामिल ज्यादातर पुरुष और महिलाएं 69 वर्ष के थे, जिन्हें हल्के से लेकर मध्यम दर्ज के पार्किंसन रोग की दिक्कत थी।
वैज्ञानिकों का कहना था कि डांस एक जटिल और बहुत सी गतिविधियों वाली एक्टिविटी है। इसमें सुनने, छूने, देखने और तेजी से हरकत करने वाली इंद्रियों का इस्तेमाल करना पड़ता है।
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नियमित एक्सरसाइज में इन पहलुओं की भूमिका कम होती है।
वर्तमान में इस रोग की उपचार-संबंधी विधियां पर्याप्त न होने के कारण वैज्ञानिकों को आशा है कि अध्ययन से मिलने वाले नतीजे ऐसे मरीजों के लिए अतिरिक्त उपचारों और प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने में मदद करेंगे।