मोटापे (Obesity) से मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है, यह कहना है विशेषज्ञों का।
एक बड़े पैमाने पर हुए हालिया अध्ययन में इस बात के सबूत भी मिले है।
पता चला है कि सामाजिक और शारीरिक दोनों ही कारण ऐसा प्रभाव उत्पन्न करने में गहन भूमिका निभा सकते है।
पूरे विश्व में इंसानों के लिए मोटापा एक खतरनाक स्वास्थ्य चुनौती बनता जा रहा है। अब तो इस समस्या से प्रभावित बच्चों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है।
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वैसे तो सेहत पर मोटे होने के खतरे सर्वविदित है, लेकिन देखा गया है कि अब यह विकार मानसिक स्वास्थ्य को भी बिगाड़ रहा है।
हाल ही में, विशेषज्ञों ने एक अध्ययन में ज्यादा वजन और मोटापा बताने वाले उच्च बीएमआई (High BMI) का डिप्रेशन (Depression) से संबंध जाना।
एक्सेटर विश्वविद्यालय के नेतृत्व में हुए अध्ययन में उनकी टीम ने यूके बायोबैंक के एक लाख से अधिक इंसानों की सेहत और उनके अनुवांशिक डाटा की जांच की।
उन्होंने वजन बढ़ाने वाले कुछ अनुवांशिक रूपों का विश्लेषण किया। साथ ही डिप्रेशन, चिंता और स्वास्थ्य लाभ के स्तर का आकलन करने के लिए पूछे गए कुछ जवाबों का भी विश्लेषण किया।
उच्च बीएमआई वालों में डिप्रेशन कैसे पैदा हो सकता है, इसके लिए टीम ने पहले खोजे गए आनुवंशिक रूपों के दो सेटों की जांच की।
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उन्हें पता लगा कि वैसे तो दोनों ही जीन लोगों को मोटा बनाने से जुड़े थे, लेकिन दूसरे सेट का जीन मोटापे के साथ गंभीर बीमारियां और मानसिक तनाव पैदा करने में अत्यंत समर्थ था।
हालांकि, खराब स्वास्थ्य की परवाह किए बिना, मोटा होने से डिप्रेशन का खतरा अधिक पाया गया।
ऐसे में टीम का मानना था कि मोटापा पीड़ितों का वजन कम करने में मदद करने से उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को फायदा हो सकता है।
अध्ययन के परिणाम ह्यूमन मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स जर्नल में प्रकाशित किए गए है।
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