हेल्थ एक्सपर्ट्स ज्यादा वजन और मोटापे (Obesity) के उपचार में भोजन से मिलने वाली कैलोरी कम करके शारीरिक गतिविधि बढ़ाने की सलाह देते है।
लेकिन अब वैज्ञानिकों ने कैलोरी से मिलने वाली ऊर्जा को सीमित करने और एक्टिव रहकर शरीर में जमा ऊर्जा को खर्च करने की सलाह पर सवाल उठाए है।
उनका कहना है कि दशकों तक लोगों को कम खाने और अधिक एक्सरसाइज के लिए प्रोत्साहित करने के बावजूद, मोटापे और इससे संबंधित बीमारियों में लगातार वृद्धि हुई है।
द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक रिसर्च लेख में ऊर्जा संतुलन मॉडल (Energy Balance Model) की मूलभूत खामियों को उजागर किया गया है।
- Advertisement -
इसके स्थान पर वैज्ञानिकों ने वजन बढ़ने और मोटापे की बेहतर रोकथाम के लिए कार्बोहाइड्रेट-इंसुलिन मॉडल (Carbohydrate-Insulin Model) को अधिक प्रभावी बताया है।
इस विषय में जानकारी देते हुए हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर डॉ. डेविड लुडविग का कहना है कि मोटापे का मुख्य कारण अधिक भोजन नहीं, बल्कि तेजी से पचने वाले कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ (Processed foods) है।
ऐसी खाने-पीने की चीजें हार्मोनल गड़बड़ी का प्रमुख कारण है, जिससे हमारा मेटाबॉलिज्म (Metabolism) बदलता है और शरीर में चर्बी जमा होनी शुरू हो जाती है। इसी वजह से आगे चलकर वजन और मोटापा बढ़ जाता है।
अत्यधिक रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट खाने से फैट यानी वसा कोशिकाएं अधिक कैलोरी जमा करने लगती है, जिससे मांसपेशियों और अन्य सक्रिय ऊतकों को कम कैलोरी उपलब्ध होती है।
मस्तिष्क यह सोचता है कि शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल रही है। ऐसे में ज्यादा भूख महसूस होती है। इसके अलावा, मेटाबॉलिज्म धीमे होकर ऊर्जा बचाना शुरू कर देता है, जो अतिरिक्त वसा के रूप में जमा होती जाती है।
- Advertisement -
वैज्ञानिकों ने मोटापे की महामारी को समझने के लिए इंसानों द्वारा खाए गए भोजन और उस भोजन का उनके हार्मोन तथा मेटाबॉलिज्म पर असर जानने की आवश्यकता बताई है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रिशन के इस लेख को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त 17 वैज्ञानिकों, क्लीनिकल शोधकर्ताओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम ने लिखा है।
सभी ने वजन और मोटापे पर नियंत्रण एवं उपचार में कार्बोहाइड्रेट-इंसुलिन मॉडल को ऊर्जा-संतुलन मॉडल के मुकाबले ज्यादा प्रभावी बताया है।
इसमें लोगों से कम खाने का आग्रह करने के बजाय जो वो खा रहे है उस पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा जाता है।
डॉ लुडविग के अनुसार, “तेजी से पचने वाले रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और ज्यादा मिठास से भरे ड्रिंक्स इंसुलिन को प्रभावित करके शरीर में चर्बी जमाव बढ़ाते है। इन्हें आहार से हटाकर ही लोग अपना वजन कम कर सकते है।”
Also Read: जानिए क्या है घटे हुए वजन को नियंत्रित रखने की कुंजी?