Low back pain cases: पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहना आजकल आम हो चला है।
आधुनिक समय में अधिकतर लोग इस समस्या से पीड़ित रहते है, जिससे उनके जीवन पर नकारात्मक असर पड़ता है।
इस बारे में हुई एक हालिया स्टडी ने 30 से अधिक वर्षों के आंकड़े देखकर लो बैक पेन (Low back pain) के मामलों में वृद्धि बताई है।
विश्लेषण में, साल 2050 तक 84.3 करोड़ लोग पीड़ित कहे गए है। ऐसा मुख्यत: जनसंख्या और उम्र में वृद्धि के कारण होगा।
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कमर दर्द के अधिकतर मामले एशियाई और अफ्रीकी देशों की आबादी में बढ़ने का अनुमान है।
पीठ दर्द के सटीक उपचार की कमी और सीमित उपचार विकल्प से हेल्थकेयर सिस्टम भी लड़खड़ाने का अंदेशा है।
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों द्वारा जारी की गई यह चिंताजनक रिपोर्ट द लांसेट रूमेटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुई है।
उनकी रिपोर्ट ने साल 2017 के बाद से लो बैक पेन के मामलों में आधे अरब से अधिक की वृद्धि बताई है।
अकेले साल 2020 में ही पीठ दर्द के लगभग 61.9 करोड़ मामले सामने आए थे।
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पीठ दर्द से जुड़े कम से कम एक तिहाई मामले स्मोकिंग, अधिक वजन और कामकाजी जीवन से संबंधित मिले है।
इन मामलों में बुजुर्गों के अलावा महिलाएं ज़्यादा पीड़ित मिली है। हालांकि, पुरुष समस्या से कम परेशान मिले है।
पीठ दर्द के मामलों का अनुमान 204 से अधिक देशों और क्षेत्रों के हेल्थ डाटा विश्लेषण से लगाया गया है।
यह डाटा विश्लेषण साल 1990 से 2020 तक के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) पर आधारित है।
लो बैक पेन के लिए सुझाए गए सामान्य उपचारों में सर्जरी और दर्द निवारक दवाएं शामिल हैं।
हालांकि, वैज्ञानिकों की रिपोर्ट में ऐसे उपचारों की प्रभावशीलता कमज़ोर या अप्रभावी बताई गई है।
लो बैक पेन का सही इलाज न होने से डायबिटीज, हृदय रोग, मानसिक समस्याओं और अन्य रोगों का ख़तरा संभव है।
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