Depression effects on health: बढ़ती उम्र में भी एक्टिव रहना चाहिए। ऐसा न करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
देखा गया है कि कमज़ोर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य वाले जल्द डिप्रेशन का शिकार हो जाते है। इसका दुष्प्रभाव उनकी उम्र पर भी पड़ता है।
यूएस और कनाडा के विशेषज्ञों की नई स्टडी में डिप्रेशन से पीड़ित बुजुर्गों को उनके हमउम्र साथियों की अपेक्षा अधिक उम्रदराज़ पाया गया है।
60 वर्ष और अधिक आयु के उन डिप्रेशन मरीज़ों की बढ़ी हुई जैविक उम्र (Biological aging) से ख़राब शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य कारण जाना गया।
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बायोलॉजिकल एजिंग से तात्पर्य शरीर के अंगों तथा कोशिकाओं की उम्र से है।
इस बारे में अधिक जानकारी वृद्धावस्था में डिप्रेशन से जूझ रहे 426 मरीज़ों की जांच से मिली थी।
विशेषज्ञ दल ने प्रत्येक व्यक्ति के खून में उम्र बढ़ने से जुड़े प्रोटीन के स्तर को मापा।
बता दें कि ढलती उम्र में कमज़ोर होती कोशिकाएं (Cells) रोगजनक प्रोटीन बनाने लगती है।
ऐसे प्रोटीन शरीर में जलन और गंभीर बीमारियों के विकास को बढ़ावा देते है।
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विशेषज्ञों ने उनके शारीरिक स्वास्थ्य, समस्याओं, मस्तिष्क कार्य और डिप्रेशन गंभीरता के साथ इन प्रोटीनों के स्तर की तुलना की।
मरीज़ के डिप्रेशन की गंभीरता का उनकी बढ़ी हुई उम्र से कोई संबंध नहीं दिखा, लेकिन अधिक उम्र ने हृदय स्वास्थ्य ज़रूर ख़राब किया।
उम्र बढ़ने से जुड़े प्रोटीन की अधिकता वालों में हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल और कई अन्य समस्याएं होने की संभावना ज़्यादा थी।
तेजी से आते बुढ़ापे ने उनकी याददाश्त और अन्य मानसिक कौशल संबंधी कार्यों पर भी बुरा असर डाला था।
निष्कर्षों के बाद, बढ़ती उम्र में डिप्रेशन से जुड़ी अक्षमता घटाने और बायोलॉजिकल उम्र बढ़ने को रोकने वाले उपायों पर ज़ोर दिया गया।
विशेषज्ञ अब किसी व्यक्ति के शरीर में वृद्ध कोशिकाओं की संख्या कम करने वाले उपचार की तलाश कर रहे हैं ताकि उनके डिप्रेशन में सुधार हो सके।
इस बारे में और जानने के लिए नेचर मेन्टल हेल्थ में छपी रिपोर्ट पढ़ सकते है।
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