सोते समय जोर से खर्राटे लेने वालों के अचानक मरने की संभावना दोगुनी होती है, ये कहना है एक स्टडी का।
स्टडी करने वाले पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों का कहना है कि नींद से जुड़ा यह विकार, जिसे मेडिकल बोलचाल में ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया (Obstructive sleep apnea) कहा जाता है, हाइपरटेंशन, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और हार्ट फेलियर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ाता है।
इसमें सोते समय श्वसन मार्ग आंशिक या पूर्ण रूप से अवरुद्ध होने लगता है। ऐसे में लोग अक्सर शोर से खर्राटे लेते है।
स्टडी में इस समस्या को जानलेवा बताया गया है, जो बढ़ती उम्र के साथ खतरनाक होती जाती है।
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वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में इस समस्या से ग्रस्त 42,000 से अधिक इंसानों को स्टडी किया और स्लीप एपनिया से संबंधित अन्य अध्ययनों की समीक्षा की।
उन्होंने जोर-जोर से खर्राटे लेने वालों में विभिन्न कारणों से अचानक मरने का अधिक जोखिम पाया। यह जोखिम खर्राटे न लेने वालों के मुकाबले दोगुना था।
दरअसल, समस्या से पीड़ितों की कोशिकाओं को ऑक्सीजन कम मिलने से शरीर में एंटीऑक्सिडेंट का असंतुलन हो जाता है।
समय के साथ यह असंतुलन कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर सकता है। ऐसे में अनेकों स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।
हालांकि, कई रोगी इस ओर ध्यान ही नहीं देते। नतीजे आने के बाद वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस विकार की रोकथाम और उपचार पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
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स्टडी को बीएमजे ओपन रेस्पिरेटरी रिसर्च में प्रकाशित किया गया है।
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