एक अध्ययन के अनुसार मोटापा (Obesity) 10 सबसे आम कैंसर के विकास को बढ़ाता है।
यूरोपियन कांग्रेस ऑन ओबेसिटी में प्रस्तुत एक अध्ययन में, 400,000 से अधिक ब्रिटिश वयस्कों के सेहत संबंधी आंकड़ों के निरीक्षण से पता चला कि इतने सारे कैंसर (Cancer) के खतरे को बड़े घेरे की कमर, कूल्हों, बॉडी मास इंडेक्स (BMI) और शरीर में जमा चर्बी से ही देखा जा सकता है।
यह सर्वविदित है कि अधिक वजन (Overweight) या मोटापा कुछ कैंसर और असमय मौत के खतरे से जुड़ा हुआ है।
अधिकांश सबूत बीएमआई पर आधारित होते है। कैंसर एवं फैट (Fat) बताने वाले अन्य सूचकों जैसे कमर और शरीर पर जमा चर्बी के बारे में बहुत कम जाना जाता है।
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परिणाम बताते है कि अधिक वजन से होने वाले कैंसर के खतरे को बताने में बीएमआई ही एक पर्याप्त उपाय है।
इसके लिए कमर का घेरा या शरीर में फैट प्रतिशत मापने में इस्तेमाल होने वाले जटिल या महंगे उपकरणों का उपयोग करने से कोई फायदा नहीं है।
मोटापे और कैंसर के संबंध को बताने के लिए, ग्लासगो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 56 वर्ष के बिना कैंसर वाले 437,393 वयस्कों के आंकड़ों का उपयोग करते हुए बताया कि बीएमआई, शरीर में वसा का प्रतिशत, कमर-से-कूल्हों तक का अनुपात, कमर-से-ऊंचाई अनुपात, और कमर एवं कूल्हे का घेरा जैसे अनुमान 24 तरह के कैंसर विकसित होने से मौत की भविष्यवाणी कर सकते है।
धूम्रपान, शराब की खपत, लाल और बाजार का बना-बनाया मांस इत्यादि कैंसर करने वाले अन्य खतरों को देखने के बाद, उन्होंने पाया कि औसतन नौ साल के बाद इन वयस्कों में कैंसर के 47,882 मामले सामने आए, जिनमें 11,265 की कैंसर से मौतें हुई।
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शोधकर्ताओं ने पाया कि मोटापा बताने वाले सभी अनुमान सकारात्मक रूप से 10 तरह के कैंसर से जुड़े हुए थे।
उदाहरण के लिए, अधिक वजन का होना पेट के कैंसर (35 फीसदी वृद्धि), पित्ताशय की थैली (33 फीसदी), लिवर (27 फीसदी), गुर्दे (26 फीसदी), पैंक्रियास (12 फीसदी ), मूत्राशय (9 फीसदी), कोलोरेक्टल (10 फीसदी), एंडोमेट्रियल (73 फीसदी), गर्भाशय (68 फीसदी), पोस्टमेनोपॉज़ल ब्रेस्ट (8 फीसदी) और कुल (3 फीसदी) कैंसर के उच्च जोखिम से जुड़े पाए गए।
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इसके अलावा, शोधकर्ताओं का अनुमान था कि अधिक वजन या मोटापे से इतने तरह के कैंसर होने के बाद मृत्यु दर भी अधिक हो सकती है।
हालांकि, गंभीर मोटापे से होने वाले कैंसर बताने वाला उनका यह अध्ययन अन्य आबादी पर लागू नहीं होता।
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