Obesity affects brain: अधिक वजन या मोटापा न केवल दिल बल्कि दिमाग के लिए भी नुकसानदायक है, यह कहना है एक स्टडी का।
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया में हुई एक खोज में पाया गया कि शरीर की हानिकारक चर्बी (Fat) डिमेंशिया (Dementia) और स्ट्रोक (Stroke) के जोखिम को बढ़ा सकती है।
लगभग 28,000 लोगों के ग्रे ब्रेन मैटर (gray brain matter) की जांच करते हुए पता चला कि शरीर में चर्बी बढ़ने से दिमाग का ग्रे मैटर ज्यादा सिकुड़ने लगता है। परिणामस्वरूप, मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट का खतरा बढ़ जाता है।
मांसपेशियों को हिलाने, चलाने और महसूस करने से जुड़ा ग्रे मैटर सीखने, सतर्कता और याददाश्त के लिए भी जरूरी है।
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स्टडी करने वालों ने पाया कि ज्यादा मोटापे वालों में ग्रे मैटर का स्तर बहुत कम था।
इससे संकेत मिलता है कि इन लोगों के मस्तिष्क की कार्यकुशलता सही नहीं हो सकती। हालांकि, आगे की अवस्था बताने के लिए उनकी और जांच करनी पड़ेगी।
दुनिया की इस पहली स्टडी में यूके बायोबैंक के तीन लाख से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड देखे गए।
पाया गया कि 37 से 73 की आयु वालों में अतिरिक्त एक किलो वजन बढ़ने से उनका दिमागी ग्रे मैटर 0.3 प्रतिशत कम हुआ।
नतीजे बताते है कि सामान्य व्यक्ति को भी स्वस्थ रहने के लिए वजन पर नियंत्रण रखना चाहिए। कमर का घेरा बढ़ना और पेट के आसपास अधिक चर्बी जमा होना खतरे की घंटी समझिए।
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आंतरिक अंगों के आसपास मौजूद ज्यादा चर्बी निरोगी जीवन के लिए विशेष रूप से हानिकारक है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि मोटापा दुनिया भर में तेजी से बढ़ती एक प्रमुख समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में एक अरब 90 करोड़ से ज्यादा वयस्क अधिक वजन वाले है, जिनमें 65 करोड़ मोटे है।
यही नहीं, 5 से 19 वर्ष की आयु के 34 करोड़ से अधिक बच्चे भी ज्यादा वजन वाले या मोटे है।
स्टडी को विस्तारपूर्वक न्यूरोबायोलॉजी ऑफ एजिंग जर्नल में पढ़ा जा सकता है।