मोटापे (Obesity) की वजह से लड़कियों में लड़कों की अपेक्षा हाई ब्लड प्रेशर, खून में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर अत्यधिक होते है।
यही नहीं, मोटी लड़कियों में सामान्य वजन वाली लड़कियों के मुकाबले जवान होने पर खून या दिल संबंधी बीमारियों (Cardiovascular Disease) की आशंका भी ज्यादा होती है।
ब्राजील में आयोजित 11 से 18 आयु वर्ग के 92 किशोरों पर हुए एक अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों को इस बारे में पता चला।
हालांकि, बीमारी की ऐसी संभावना मोटे लड़कों में सामान्य वजन वाले लड़कों से तुलना करने पर दिखाई नहीं दी।
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वैज्ञानिकों ने मोटापे से ग्रस्त लड़कियों में लगातार खाते रहने के साथ ज्यादा मीठे और चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों की लत को भी देखा।
उनकी सलाह थी कि लड़कियों और लड़कों को समान वजन और हम उम्र होने पर भी उनकी शारीरिक संरचना के चलते एक जैसा उपचार नहीं देना चाहिए।
मोटापा की बीमारी के पीछे कई कारण होते है इसलिए सबका उपचार भी एक सा नहीं हो सकता है।
उपचार में आहार और व्यायाम महत्वपूर्ण है, लेकिन दवा के साथ ही सर्जिकल और मनोचिकित्सा की जरूरत भी हो सकती है।
बचपने का मोटापा स्वास्थ्य अधिकारियों और वैज्ञानिकों के बीच बढ़ती चिंता का विषय है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि साल 2016 में दुनिया भर में 5 से 19 वर्ष के लगभग 34 करोड़ बच्चे अधिक वजन वाले या मोटे थे।
वैसे भी यह सर्वविदित है कि बचपन का मोटापा जवानी में गंभीर बीमारियों, खासकर हृदय रोग की उच्च संभावना से जुड़ा हुआ है।
अध्ययन के निष्कर्ष, फ्रंटियर इन न्यूट्रीशन नामक पत्रिका में प्रकाशित किए गए थे।