Noise harms marine life: मानव गतिविधियों से उत्पन्न शोर समुद्री जीवन को नुकसान पहुंचा रहा है, ऐसा एक नई स्टडी ने बताया है।
ताज़ा जानकारी के लिए अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने जलीय जीवों और उनके रहन-सहन पर शोर के दुष्प्रभाव बताते सैकड़ों अध्ययनों की समीक्षा की थी।
उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि मनुष्यों द्वारा समुद्र में उत्पन्न शोरगुल जलीय जीवों को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।
टीम के अनुसार, विशेषकर शिपिंग से जुड़ी मानव गतिविधियाँ जलीय जीवों के जीवनदायिनी वातावरण को तेजी से बदल रही हैं।
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उन्होंने चेतावनी दी कि हानिकारक शोर में लंबे समय तक रहने से उनके प्राकृतिक व्यवहार और सेंसरी सिस्टम को गंभीर चोट पहुंच सकती है।
समुद्र में जहाज़, नावें, ड्रिलिंग, ड्रेजिंग और सोनार आदि एक्टिविटी समुद्री शोर-शराबे के मुख्य स्रोत बताए गए है।
सभी के संयुक्त प्रभावों से जलीय जीवों के हैचिंग, अंडे के विकास में देरी, लार्वा में असमानताएं और मृत्यु दर में काफी वृद्धि की संभावना है।
इसके अतिरिक्त समुद्री शोरगुल से उनके श्रवण अंगों को नुकसान और तनाव से प्रोटीन सामग्री में महत्वपूर्ण परिवर्तन भी माना गया है।
भारी शोरगुल से कुछ जलीय जीवों के विकास और प्रजनन दर में महत्वपूर्ण कमी के अलावा उनकी मृत्यु दर में बढ़ोतरी की भी आशंका है।
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बढ़ते शोर-शराबे से उत्पन्न दुष्प्रभाव मुख्यत: केकड़ों, मोलस्क, स्क्वीड, झींगे, ऑक्टोपस आदि जीवों पर जाने गए है।
बढ़ती मानव गतिविधियों से वन्य जीवों का बुरा हाल देखने के बाद अब समुद्री जीवों पर दुष्प्रभाव प्राकृतिक पर्यावरण के लिए ख़तरनाक है।
स्थिति की गंभीरता भांपने के बाद अंतर्राष्ट्रीय टीम ने इन दुष्प्रभावों की जांच और कमी के लिए तत्कालीन रिसर्च का आह्वान किया है।
इस बारे में गहन जानकारी फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस जर्नल में प्रकाशित लेख से मिल सकती है।
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