भारत में वायु प्रदूषण (air pollution) से 20 लाख लोगों की मृत्यु हुई, ऐसा अमेरिका और भारत के शोधकर्ताओं की नई रिपोर्ट से पता चलता है।
भारत में वायु प्रदूषण के कारण साल 2019 में 20 लाख लोगों की मृत्यु हुई जो दुनिया के किसी भी देश में प्रदूषण से संबंधित सबसे बड़ी मृत्यु दर है। इसके चलते देश को 36.8 बिलियन यूएस डॉलर का आर्थिक नुकसान भी हुआ।
यह बोस्टन कॉलेज के ग्लोबल ऑब्जर्वेटरी ऑन पॉल्यूशन एंड हेल्थ, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के शोधकर्ताओं के एक नए अध्ययन में सामने आया है।
अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, भारत में साल 2019 में वायु प्रदूषण से हुई मौत का, पूरे देश में होने वाली कुल मौतों में, 18 प्रतिशत हिस्सा था।
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वायु प्रदूषण से इंसान और अर्थव्यवस्था को नुकसान
लांसेट प्लेनेटरी हेल्थ पत्रिका में छपी ‘भारत के राज्यों में वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव’ (The health and economic impact of air pollution in the states of India) शीर्षक रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से हुई मौत के कारण हुआ 36.8 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान देश के सकल घरेलू उत्पाद का दो प्रतिशत था।
निष्कर्ष में कहा गया कि प्रदूषण से संबंधित नुकसान’ भारत की 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में बाधा डाल सकता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, भारत में वायु प्रदूषण कम होने से जनसंख्या और अर्थव्यवस्था दोनों को काफी लाभ होगा। प्रदूषण के चलते भारतीयों को बहुत नुकसान हो रहा है। यह प्रतिवर्ष 1.67 मिलियन अकाल मृत्यु का कारण बन रहा है, जो COVID-19 मौतों से कई ज्यादा है।
भारतीयों की अगली पीढ़ी पर भी गहरा प्रभाव
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उनके अनुसार, देश में व्याप्त वायु प्रदूषण के दुष्परिणाम बिना इसे कम किए लंबे समय तक रहेंगे, क्योंकि यह भारतीयों की अगली पीढ़ी पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है।
आज के बच्चे जब कल के वयस्क होंगे तो प्रदूषण के बुरे प्रभाव उनमे हृदय रोग, डायबिटीज और श्वसन संबंधी बीमारी के खतरे को बढ़ा देंगे। यह बच्चों के आईक्यू (IQ) को भी कम कर रहा है।
यदि लोग इस समस्या के बारे में कुछ नहीं करते तो भारत के लिए सामाजिक या आर्थिक रूप से आगे बढ़ना बहुत मुश्किल होगा।
रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने भारत में वायु प्रदूषण और प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के तेजी से बदलते पैटर्न को भी देखा।
हालांकि 1990 के बाद से इनडोर एयर पोलुशन से मृत्यु दर, जो मुख्य रूप से भारत में व्याप्त खराब हवादार चूल्हों के कारण होती है, में 64.2 प्रतिशत तक कम हुई है।
लेकिन इसी समय में, आउटडोर पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण के कारण मृत्यु दर में 115.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई और इस वजह से ओजोन प्रदूषण में 139.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
क्या है इसके कारण
मौजूदा वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में वृद्धि कार, ट्रक और बसों के बढ़ते धुंए, रसायन, हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को दर्शाती है। साथ ही भारत में बिजली उत्पन्न करने के लिए कोयले का व्यापक उपयोग भी हो रहा है।
शोधकर्ताओं ने देखा कि जलवायु परिवर्तन ने वायुमंडलीय ठहराव, कण-कण में तापमान-चालित वृद्धि और जमीनी स्तर के ओजोन गठन के माध्यम से प्रदूषण को भारत में विशेष रूप से गंभीर बना दिया है।
राज्य-दर-राज्य विश्लेषण ने भारत के राज्यों में वायु प्रदूषण की मृत्यु दर में तीन गुना से अधिक भिन्नता दिखाई।
दक्षिण भारतीय राज्यों ने उत्तर के राज्यों की तुलना में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए नीतियां बनाई है। उत्तर के राज्यों में प्रदूषण और इसके परिणामों ने मृत्यु दर और आर्थिक लागत पर अधिक प्रभाव दिखाया है।
प्रोफेसर लैंड्रिगन ने कहा कि प्रदूषण में सफलतापूर्वक कमी करने वाली नीतियों के पर्याप्त समाधान और उदाहरण है जो देश और राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लागू की जा सकती है।
चीन और अमेरिका से सीखने की जरूरत
चीन का उदाहरण देते हुए शोधकर्ता कहते है कि यह भारत की ही तरह एक समान आकार की आबादी और महत्वाकांक्षी आर्थिक लक्ष्यों वाला देश, जिसने अपनी हालिया पंचवर्षीय योजना में प्रदूषण नियंत्रण लक्ष्यों को अपनाया और प्रदूषण नियंत्रण पर प्रगति भी कर रहा है।
स्वच्छ ईंधन उपकरणों की अधिक पहुंच जरूरी
जबकि शोधकर्ताओं ने भारत के लाखों घरों में उपयोग किए जाने वाले लकड़ी और कोयले से जलने वाले चूल्हों से उत्पादित इनडोर वायु प्रदूषण में गिरावट देखी है, वो ये मानते है कि आगे की कटौती के लिए अतिरिक्त रणनीतियों की आवश्यकता होगी जो गरीबी और ऊर्जा जरूरतों को भी संबोधित करती हो।
कई चुनौतियों में से एक यह है कि गरीबों तक स्वच्छ ईंधन उपकरणों की अधिक पहुंच हो जो वर्तमान संसार की विभिन्न स्थितियों में निरंतर उपयोग की जा सके।
इनका जितना अधिक विकास और परीक्षण समुदायों के साथ, विशेष रूप से महिलाओं संग जो इन उपकरणों का इस्तेमाल करती है, किया जाता है उतने ही अधिक इनके उपयोग होने की संभावना है।