एक नई स्टडी ने मोटापे (Obesity) से जुड़ी सूजन को दिल की सेहत के लिए हानिकारक बताया है।
स्टडी के अनुसार, मोटापा ‘खराब कोलेस्ट्रॉल’ (LDL) को प्रभावित कर हृदय संबंधी बीमारियों, डायबिटीज और कुछ कैंसर का खतरा बढ़ाता है।
यूएस और स्पेन के हेल्थ रिसर्चर्स की यह साझा स्टडी जर्नल ऑफ़ लिपिड रिसर्च (JLR) में छपी थी।
गौरतलब है कि मोटापा दुनिया भर के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन गया है।
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इससे हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, हाई बीपी, पुरानी सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव आदि होते है।
उपरोक्त समस्याओं के पैदा होने से हृदय रोगों (CVD) का खतरा विकसित होने लगता है।
बता दें कि हमारे शरीर में कोशिकाओं के कार्यों के लिए सामान्य कोलेस्ट्रॉल अति आवश्यक है।
लेकिन अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल धमनियों में जमा होकर दिल के रोगों का कारण बन जाता है।
स्टडी से पता चला है कि मोटापे में खराब कोलेस्ट्रॉल की गुणवत्ता अत्यधिक बिगड़ कर रोगों को बदतर बनाने लगती है।
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कोलेस्ट्रॉल वितरण सामान्य से असामान्य होने लगता है। इससे धमनी में अधिक कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है।
अधिक कोलेस्ट्रॉल जमाव से प्लाक बनता है जो दिल को खून का दौरा और ऑक्सीजन रोक देता है।
सटीक जानकारी के लिए रिसर्चर्स ने बेरिएट्रिक सर्जरी से पहले गंभीर मोटापे के रोगियों का लिपोप्रोटीन जांचा था।
उनके लिपोप्रोटीन की तुलना दुबले लेकिन स्वस्थ लोगों के लिपोप्रोटीन से की गई।
सर्जरी करवाने वालों के एलडीएल कण अनियंत्रित हो गए थे और रिसेप्टर तक कोलेस्ट्रॉल पहुंचाने में कम कुशल थे।
इसके अतिरिक्त, मोटापाग्रस्त मरीजों के एलडीएल कण उनकी धमनी की दीवार से चिपकने भी लगे थे।
रिसर्च टीम के अनुसार, यह असामान्य व्यवहार मोटापे से जुड़ी सूजन से प्रेरित हुआ था।
इन हानिकारक परिवर्तनों ने मोटापे के रोगियों में दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाने में योगदान दिया।
हालांकि, मरीज का वजन सामान्य होते ही एलडीएल गुणवत्ता में सुधार पाया गया, जिससे हृदय रोगों का खतरा भी कम हुआ।
उत्साहित टीम ने दिल की बीमारियों से बचाव के लिए न केवल बेरिएट्रिक सर्जरी वालों बल्कि अन्यों को भी मोटापा या अधिक वज़न घटाने की सलाह दी।
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