भारत की लगभग 76% आबादी Vitamin D की कमी से पीड़ित है, ये कहना है एक नए स्वास्थ्य सर्वेक्षण का।
सर्वेक्षण के नतीजे भारत के 27 शहरों में रहने वाले 2.2 लाख से अधिक इंसानों की जांच पर आधारित बताए गए है।
यह सर्वेक्षण Tata 1mg Labs द्वारा किया गया था। जांच के नमूने मार्च-अगस्त 2022 के बीच लिए गए थे।
नतीजों से देश के कुल 79% पुरुषों और 75% महिलाओं के शरीर में Vitamin D के तय स्तर में कमी का पता चला।
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वड़ोदरा (89%) और सूरत (88%) में Vitamin D कमी के सबसे अधिक और दिल्ली-एनसीआर में सबसे कम (72%) मामले पाए गए।
दिलचस्प बात यह रही कि वयस्कों की तुलना में युवा वर्ग Vitamin D कमी से अधिक प्रभावित मिला है।
Vitamin D की कमी 25 वर्ष से कम आयु वर्ग में सबसे अधिक (84%) मिली जबकि 25 से 40 वर्ष वालों में (81%) जानी गई।
बता दें कि खून में Vitamin D का पर्याप्त स्तर 20-30ng/ml के बीच और सुरक्षित ऊपरी सीमा 60ng/ml है।
Vitamin D शरीर के विकास, मेटाबॉलिज़्म, इम्यूनिटी, हड्डियों की मजबूती और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
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इसकी कमी से प्रोस्टेट कैंसर, डिप्रेशन, डायबिटीज, रिकेट्स, गठिया, मांसपेशियों की कमज़ोरी जैसी समस्याएं संभव है।
सर्वेक्षण से जुड़े डॉक्टरों ने भारतीयों के खान-पान और धूप लेने में कोताही सहित लाइफस्टाइल को Vitamin D के गिरते स्तर का जिम्मेदार ठहराया।
इसके अतिरिक्त, युवाओं में Vitamin D युक्त खाद्य पदार्थों और तैलीय मछली के कम सेवन से भी कमी हो सकती है।
सर्दियों के दौरान सूरज रोशनी का कम मिलना भी संभावित स्पष्टीकरण हो सकता है। महिलाओं में कुपोषण से Vitamin D की कमी संभव बताई गई।
बचाव के लिए हर छह महीने या साल में एक बार फुल बॉडी टेस्ट के दौरान Vitamin D के स्तर की भी जाँच करवाने की सलाह दी गई है।
मोटापे, कुपोषण, हड्डियों, जोड़ों में दर्द या टीबी रोगियों को तो नियमित रूप से Vitamin D के स्तर की जाँच करवाने को कहा गया है।
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