ज्यादा समय तक मोटापे (obesity) की अवस्था ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन सहित सभी कार्डियोमेटाबोलिक (cardiometabolic) बीमारियों के खतरनाक स्तर से जुड़ा हुआ है।
पीएलओएस मेडिसिन (PLOS Medicine) जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन ने, कार्डियोमेटाबोलिक बीमारियों जैसे दिल का दौरा और स्ट्रोक से संबंधित बीमारियों के विकास के खतरे को कम करने के लिए कम उम्र में ही मोटापे (obesity) से निपटने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
ब्लड शुगर पर मोटापे (obesity) में गुजरे वर्षों का प्रभाव
ब्रिटेन के लॉबोरो विश्वविद्यालय (Loughborough University) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने मोटापे (obesity) में बीते समय और कार्डियोमेट्रिक बीमारी होने के खतरे के बीच संबंधों की जांच के लिए एक अध्ययन किया।
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अध्ययन के परिणामों से पता चला है कि मोटापे (obesity) में अधिक वर्षों बिताने से यह खतरनाक हो जाता है।
डेटा को तीन अलग-अलग अध्ययनों से एकत्र किया गया और उनका विश्लेषण किया गया। इसके लिए यूके से कुल 20,746 प्रतिभागियों को भर्ती किया गया, जहां 10 से 40 वर्ष की आयु के बीच उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) दर्ज किया गया।
इन अध्ययनों ने कार्डियोमेटाबोलिक रोग के जोखिम से जुड़े कारणों के साथ रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (ब्लड शुगर) का भी डेटा एकत्र किया। जैसे ही सेहत के लिए जोखिम बढ़ाने वाले ये कारक आपस में मिलते है, किसी भी इंसान के लिए दिल की बीमारी या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
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अध्ययन के परिणामों से क्या पता चला
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- अध्ययन में पाया गया कि सभी कार्डियोमेटाबोलिक जोखिम कारक मोटापे (obesity) में बिताए गए वर्षों से संबंधित थे। परिणामों से पता चला कि मोटापे में बिताए गए बीते अधिक वर्षों ने विशेष रूप से ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) की मात्रा को खराब कर दिया।
- जिन लोगों ने मोटापे (obesity) में पांच साल या उससे कम समय बिताया, उनका HbA1c स्तर उन लोगों की तुलना में 5% अधिक था जो कभी मोटापे से ग्रस्त नहीं थे। जिन लोगों ने मोटापे में 20 से 30 साल बिताए, उनका HbA1c स्तर 20% अधिक था उनके मुकाबले जो मोटापे से ग्रस्त नहीं थे।
- परिणामों से यह भी पता चला है कि कार्डियोमेटाबोलिक रोग के खतरे को मापने के अन्य उपाय, जैसे सिस्टोलिक और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर, और उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल भी मोटापे (obesity) में बीते वर्षों से संबंधित थे।
- अध्ययन के परिणामों से पता चलता है कि किसी व्यक्ति की मोटापे (obesity) में बीते वर्षों में हृदय रोग या स्ट्रोक जैसे कार्डियोमेटाबोलिक जोखिम से संबंधित बीमारियों के विकास की संभावना बढ़ सकती है।
- हृदय रोग दुनिया भर में सभी मौतों का सबसे बड़ा कारण है, और स्ट्रोक मृत्यु का दूसरा तथा विकलांगता का तीसरा प्रमुख कारण है। इन घटनाओं से किसी व्यक्ति को होने वाले खतरे को कैसे कम करें, इसे समझने से दुनिया भर में जीवन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य देखभाल पर पड़ने वाले बोझ को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया जा सकता है।
मोटापे (obesity) को जल्दी रोकना जरूरी
मोटापे के बढ़े हुए जोखिम से जुड़ा यह अध्ययन, जीवन में मोटापे से जल्द निपटने के महत्व को बताता है, जिससे लोगों को अपने बचपन के वर्षों को मोटापे में गुजारने से रोका जा सके।
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शोधकर्ताओं मानते है कि अध्ययन के परिणाम संभवतः नई रणनीतियों के विकास को निर्देशित करेंगे जो हेल्थकेयर सिस्टम मोटापे को रोकने के लिए विकसित कर सकते हैं, खासकर जोखिम वाले लोगों में।
इसे मोटापे (obesity) से जूझ रहे लोगों की जीवनशैली में विकल्पों का मार्गदर्शन करना चाहिए जिससे उन्हें अपना वजन कम करने और सम्पूर्ण स्वास्थ्य को लंबे समय तक सुधारने में मदद मिले। अक्सर, यह माना जाता है कि स्वास्थ्य को बिगाड़ने में मोटापे (obesity) की गंभीरता मुख्य कारण है, जबकि यह अध्ययन सेहत पर मोटापे में गुजरे समय की भूमिका को भी दिखाता है।