माइंडफुलनेस मेडिटेशन हार्ट अटैक झेल चुके लोगों के डर को कम कर उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकता है, ऐसी धारणा एक नए शोध में सामने आई है।
दिल का दौरा (heart attack) पड़ना एक जानलेवा घटना है और इससे बचे लोग दूसरे दिल के दौरे की चिंता से अपनी दैनिक गतिविधियों को सीमित कर देते है।
लेकिन माइंडफुलनेस मेडिटेशन (mindfulness meditation) ऐसे रोगियों के चलने-फिरने, उठने-बैठने या आहार से संबंधित डर को कम करता है।
इस क्रिया में एक शांत मानसिक स्थिति के लिए वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जिसके नियमित अभ्यास से मरीज स्वयं को भावनात्मक और शारीरिक तौर पर मज़बूत महसूस करते है।
- Advertisement -
यूरोपीय सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी के वैज्ञानिक सम्मेलन में प्रस्तुत एक अध्ययन में माइंडफुलनेस का प्रभाव देखने के लिए हार्ट अटैक वाले 56 रोगियों को शामिल किया गया।
इनमें से कुछ ने आठ सप्ताह के लिए 15 मिनट के एक माइंडफुलनेस ध्यान सत्र में और कुछ ने हार्ट अटैक से जुड़े शिक्षा सत्र में भाग लिया।
ध्यान सत्र में उन्हें एक कुर्सी पर आराम से बैठ कर गहरी सांस लेने और सांस तथा वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करना सिखाया गया। ऐसा उन्हें हर दिन 15 मिनट के लिए घर पर ही एक शांत कमरे में दोहराना था।
अध्ययन के शोधकर्ताओं ने चार से 12 हफ्तों तक माइंडफुलनेस के मरीजों में गतिविधियों से जुड़े डर में कमी होकर जीवन और भावनाओं में बेहतर सुधार देखा। जबकि हार्ट अटैक से जुड़ी जानकारियां हासिल करने वाले मरीजों में ऐसे प्रभाव नदारद थे।
अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि माइंडफुलनेस थेरेपी दिल का दौरा पड़ने के बाद रोगियों में बीमारी के डर को कम करके और सकारात्मक विचार भरकर जीवन सुधारने में सहायक हो सकती है।