Metabolic Syndrome Risk: एक स्टडी ने किशोरावस्था (Adolescence) से ही स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने की सलाह दी है।
ऐसा न करने से युवावस्था (Young adulthood) आते-आते मेटाबॉलिक सिंड्रोम का जोखिम दोगुना हो सकता है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम ऐसी अवस्थाओं का चक्र है जो हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है।
यह जानकारी हाल ही में ईस्टर्न फिनलैंड यूनिवर्सिटी और यूके की एक्सेटर यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने दी है।
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उन्होंने युवतियों की अपेक्षा युवकों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा पांच गुना अधिक पाया है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम की रोकथाम से हृदय संबंधी बीमारियों व टाइप 2 डायबिटीज सरीखे रोगों से बचाव होता है।
उम्र बढ़ने के साथ धमनियां अकड़ने लगती है, जिससे हार्ट फेलियर, स्ट्रोक व डायबिटीज का ख़तरा बढ़ता है।
सात साल की छानबीन में, रिसर्चर्स ने समय-समय पर 3,800 से अधिक युवाओं के मोटापे, कोलेस्ट्रॉल और बीपी स्तर को मापा।
विश्लेषण के दौरान, युवकों की धमनियां अधिक सख़्त थी। इससे मेटाबॉलिक सिंड्रोम का जोखिम 9% तक बढ़ा मिला।
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हालांकि, इसी अवधि के दौरान युवतियों के मेटाबॉलिक सिंड्रोम जोखिम में केवल 1% तक वृद्धि जानी गई।
रिसर्चर्स के अनुसार, धमनियों की कठोरता फास्टिंग इंसुलिन एवं खराब कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि द्वारा आंशिक रूप से मेटाबॉलिक सिंड्रोम कर सकती है।
युवाओं में धमनियों की कठोरता सुधारने से उनकी कई गंभीर बीमारियों की रोकथाम और जल्द उपचार हो सकता है।
इस बारे में विस्तृत जानकारी अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी-हार्ट एंड सर्कुलेटरी फिजियोलॉजी में छपे लेख से मिल सकती है।
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