Age and mental speed: उम्र बढ़ने के साथ ही हमारी चुस्ती-फुर्ती घटने लगती है, लेकिन क्या आप जानते है कि शरीर के मुकाबले दिमाग ज्यादा समय तक फुर्तीला रहता है?
दिमागी क्षमता पर हुई जर्मनी की एक रिसर्च की मानें तो शरीर के ढलने पर भी मानसिक निपुणता जवानी जितनी ही धारदार रहती है, बस प्रतिक्रिया देने में थोड़ा फ़र्क आता है।
स्टडी के विशेषज्ञों का कहना था कि निर्णय लेने की प्रतिक्रिया धीमे होने पर भी सोचने-समझने की ताकत 60 बरस के बाद तक बनी रहती है।
हालांकि, पिछले अध्ययनों के विशेषज्ञों ने मानसिक कार्य कुशलता की गति को 20 साल की उम्र में चरम सीमा पर बताया था।
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इस बारे में जर्मनी की हीडलबर्ग यूनिवर्सिटी के विषेशज्ञों ने बताया कि उम्र के साथ हम कम आवेगी हो जाते है, यानी अपने निर्णयों में अधिक सतर्क हो जाते है ताकि गलतियों से बच सकें। इस कारण, 20 वर्ष के बाद दिमागी क्षमता धीमी हो जाती है।
इस स्टडी के लिए यूनिवर्सिटी विशेषज्ञों ने एक ऑनलाइन टेस्ट में भाग लेने वाले 1200000 से अधिक लोगों का विश्लेषण किया था।
उनके मेंटल टेस्ट के दौरान देखा गया कि उनकी प्रतिक्रिया का समय धीमा होने लगा था। लेकिन अधिक बारीकी से जांच करने पर पाया गया कि ऐसा संभवतः सही उत्तर तय करने के कारण था।
टेस्ट में शामिल हम उम्र के लोग अपनी निर्णय लेने की क्षमता में एक समान ही प्रतीत होते दिखे।
हालांकि, कई वृद्ध ऐसे भी थे जिनका दिमाग 60 वर्ष पार करने के बावजूद बहुत उच्च स्तर की मानसिक निपुणता का प्रदर्शन करता मिला।
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विशेषज्ञों के अनुसार, उम्र बढ़ने पर हम अधिक सतर्क रहने और अपनी लापरवाही को कम करने की कोशिश करते है। इसीलिए, हमारी प्रतिक्रिया करने का समय यानी मेंटल स्पीड कम होने लगती है।
स्टडी के नतीजे नेचर ह्यूमन बिहेवियर जर्नल में प्रकाशित किए गए है।
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