एक स्टडी ने मोटापे, हाई बीपी, स्मोकिंग और टाइप 2 डायबिटीज प्रभावित पुरुषों के दिमाग को नुकसान बताया है।
नई स्टडी ने उपरोक्त समस्याओं वाले पुरुषों को ‘भूलने की बीमारी’ डिमेंशिया का अधिक खतरा बताया है।
दिमागी स्वास्थ्य से जुड़ा यह खतरा उनमें महिलाओं की अपेक्षा 10 साल पहले ही पनप सकता है।
यह जानकारी यूके बायोबैंक के 34,425 पुरुषों और महिलाओं के पेट व दिमाग के स्कैन से प्राप्त हुई है।
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छानबीन में, पुरुषों के दिमाग को 55 से 74, जबकि महिलाओं के 65 से 74 वर्ष की आयु के बीच सबसे अधिक खतरा था।
सभी पुरुषों और महिलाओं में अस्वस्थ दिमाग से जुड़े अल्जाइमर रोग का खतरा रोगजनक APOE ε4 जीन से पाया गया।
पेट और अंदरूनी अंगों पर चढ़ी चर्बी वाले पुरुषों और महिलाओं के दिमाग में ग्रे मैटर की मात्रा (Grey matter volume) कम थी।
यह वह हिस्सा है जहाँ सुनने, सोचने, सीखने, समझने, बोलने, याददाश्त आदि प्रतिक्रिया विकसित होती है।
स्टडी में कहा गया कि मोटापे और दिल की बीमारियों के कारण धीरे-धीरे ग्रे मैटर की मात्रा कम होने लगती है।
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नतीजन, हमारे जीवन को सुचारु रूप से चलाने में सक्षम मानसिक कामकाज कमजोर पड़ने लगते है।
ऐसे में अल्जाइमर जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के इलाज या रोकथाम के लिए मोटापे से पैदा स्वास्थ्य समस्याओं को सुधारने की आवश्यकता है।
महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में एक दशक पहले ही मोटापे और हृदय संबंधी खतरों की रोकथाम जरूरी है।
इस प्रयास से न्यूरोडीजेनेरेशन और दिमागी कामकाज में गिरावट रोकना आसान होगा जिसके चिकित्सीय लाभ हो सकते है।
अधिक जानकारी जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी न्यूरोसर्जरी और सायकेट्री में छपी रिपोर्ट से मिल सकती है।
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