Malnutrition: बचपन में उचित पोषण न मिलने से बच्चों के विकास में कमी और जल्द मौत हो सकती है।
यह चिंताजनक सूचना कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी- सैन फ्रांसिस्को की रिसर्च टीम द्वारा की गई तीन स्टडीज़ ने दी है।
उनकी स्टडीज़ ने छोटी उम्र से ही बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए उचित पोषण बहुत जरूरी बताया है।
नेचर जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट में 100 से अधिक रिसर्चर्स की एक अंतरराष्ट्रीय टीम शामिल थी.
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उन्होंने 1987 और 2014 के बीच हुए 33 अध्ययनों से दो साल से कम उम्र के लगभग 84,000 बच्चों के डेटा की जांच की।
जिन बच्चों का विकास छह महीने की उम्र से पहले ही लड़खड़ाना शुरू हुआ था, उनकी मृत्यु की संभावना बहुत अधिक थी।
18 से 24 महीने की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते उनके विकास में गंभीर बाधा आने की संभावना भी अधिक पाई गई।
यह देखते हुए प्रसव उम्र की महिलाओं के पोषण सुधार पर ज़्यादा ध्यान देने की आवश्यकता मानी गई।
आंकड़ों की माने तो 2022 में, दुनिया भर के पांच में से एक से अधिक बच्चों को सामान्य रूप से बढ़ने के लिए पर्याप्त कैलोरी नहीं मिली।
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4.5 करोड़ से अधिक बच्चों में कमजोर रहने या उनकी ऊंचाई के मुताबिक बहुत कम वजन होने के लक्षण देखे गए।
हर साल, दस लाख से अधिक बच्चे दुबलेपन और 250,000 से अधिक बच्चे बौनेपन के कारण मरने का भी अनुमान है।
टीम ने 20 प्रतिशत बच्चों को जन्म के समय अविकसित और 52 प्रतिशत से अधिक को दूसरे जन्मदिन तक कमज़ोर पाया।
निष्कर्षों के अनुसार, बच्चों को छह महीने की उम्र से पहले उचित पोषण मिलना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ऐसा न होने से स्टडी की गई आबादी के लगभग एक तिहाई और दक्षिण एशिया के आधे से अधिक बच्चों के विकास में गंभीर गिरावट आएगी।
टीम ने गर्भधारण से पहले महिलाओं को पोषण और स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने और गर्भावस्था के दौरान व बाद में उस सहायता को जारी रखने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया है।
रिसर्चर्स ने पाया कि एक कुपोषित मां एक ऐसे बच्चे को जन्म दे सकती है, जो अगली पीढ़ी में कुपोषण के उस चक्र को दोहराएगा।
उनके अनुसार, प्रारंभिक जीवन में कुपोषण एक चिंताजनक चक्र निर्धारित करता है, जो पीढ़ियों तक चल सकता है।
इसलिए जन्म के पहले 1,000 दिनों में स्वास्थ्य व पोषण सुधार न केवल इंसान बल्कि समाज के लिए भी बेहद मायने रखता है।