फेफड़ों के कैंसर (lung cancer) होने की मुख्य वजह विषाक्त हवा में साँस लेना है जिससे न केवल फेफड़ों को बल्कि अन्य अंगों और शारीरिक कार्यों को भी नुकसान हो रहा है।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के विशेषज्ञों ने कहा है कि धूम्रपान न करने वालों (non-smokers) में फेफड़ों के कैंसर (lung cancer) के मामलों में पिछले एक दशक में पांच गुना वृद्धि हुई है।
अस्पताल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से उत्तर भारत में, विशेष रूप से सर्दियां, सेहत के लिहाज से कठोर है क्योंकि अधिकांश शहर स्मॉग की मोटी चादर से ढके हुए है जो सघन पार्टिकुलेट मैटर (concentrated particulate matter -PM) – प्रदूषण करने वाले मुख्य कारको में से एक – के होने से है।
70 सिगरेट के विषाक्त धुंए में साँस लेना है खतरनाक
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विशेषज्ञों के अनुसार, फेफड़े के कैंसर और दूसरे श्वसन रोगों, विशेष रूप से नवंबर-जनवरी के महीनों में, बिगड़ती हुई हवा की स्थिति का बहुत बड़ा योगदान है। हम जिस हवा में साँस लेते है, वह 70 सिगरेट के विषाक्त धुंए जितनी जहरीली है।
लोग इस जहरीली हवा में सांस लेते रहते हैं और इसके परिणामस्वरूप श्वसन संबंधी बीमारियां जैसे सीओपीडी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और अन्य गंभीर श्वसन बीमारियां विकसित होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, बाहर के वायु प्रदूषण में लम्बे समय तक रहना प्रमुख कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाला एजेंट) में से एक है।
फेफड़े के कैंसर (lung cancer) का बढ़ता दायरा और स्वास्थ्य प्रभाव
फेफड़े के कैंसर को अब पेट और स्तन कैंसर के बाद भारत में तीसरे सबसे सामान्य कैंसर के रूप में पंजीकृत किया गया है।
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जबकि तम्बाकू धूम्रपान अभी भी बीमारी का एक प्राथमिक कारण है, फेफड़े के कैंसर से ग्रस्त धूम्रपान न करने वालों का हिस्सा एक दशक के भीतर 50 प्रतिशत तक बढ़ गया है और इन रोगियों में से एक बड़ी संख्या महिलाओं की है।
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ओजोन और प्रदूषण कण मुख्य रूप से दो प्रकार के बाहरी वायु प्रदूषक है।
प्रदुषण फैलाने वाले कण (PM) के आकार का मामला फेफड़ों पर इसके प्रभाव को परिभाषित करता है।
2.5 माइक्रोन के छोटे कणों का फेफड़ों के कैंसर के साथ सीधा संबंध बताया जाता है। मानव शरीर में प्रवेश करते समय ये सुक्ष्म कण डीएनए में बदलाव का कारण बनते है जो अंततः कैंसर करता है।
विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा कि विषाक्त हवा न केवल फेफड़ों को नुकसान करती है, बल्कि अन्य अंगों और शारीरिक कार्यों को नष्ट कर सकती है।
वायु प्रदूषण के कुछ प्रमुख स्वास्थ्य प्रभाव जो आमतौर पर देखे जाते हैं, वे हैं ब्रोन्कियल अस्थमा और अन्य सीओपीडी रोग, नर्वस सिस्टम को नुकसान, हृदय संबंधी बीमारियां, थकान, सिरदर्द, चिंता, और नाक, आंखों एवं गले में जलन।