इंसुलिन के स्तर (Insulin level) को नियंत्रित रखने से COVID-19 होने का खतरा कम रहता है, ये कहना है जापान के विशेषज्ञों का।
ओसाका यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि GRP78 नामक एक प्रोटीन COVID-19 वायरस को कोशिकाओं से चिपकने और प्रवेश में मदद करता है।
यह प्रोटीन शरीर में जमा फैट (Fat) में पाया जाता है और इंसुलिन से प्रभावित होता है। इस कारण बुजुर्ग, मोटे और डायबिटीज वाले कोरोना का ज्यादा शिकार होते हैं।
इस विषय में हुए एक शोध के नतीजे, शरीर में मौजूद ज्यादा चर्बी को कोरोना फैलाने वाले वायरस SARS-CoV-2 के छुपने की जगह बताते है।
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शोधकर्ताओं ने बुजुर्ग, मोटे और डायबिटीज वालों में GRP78 स्तर की जांच की और इसका संबंध SARS-CoV-2 वायरस के मानव कोशिकाओं में प्रवेश के मददगार स्पाइक प्रोटीन से बंधने वाले एक अन्य प्रोटीन ACE2 से जाना।
वैज्ञानिकों ने पाया कि स्पाइक प्रोटीन सीधे GRP78 से जुड़ सकता है। यही नहीं, GRP78 की उपस्थिति ACE2 प्रोटीन के साथ वायरस गठबंधन को बढ़ाती है।
COVID-19 संक्रमण में GRP78 की भागीदारी का अंदाजा लगाने के लिए उन्होंने वृद्ध, मोटे और मधुमेह रोगियों के फैट टिश्यू में इस प्रोटीन की जांच की।
उन्होंने सभी के टिश्यू में GRP78 जीन की अधिकता दर्ज की और बढ़ती उम्र, मोटापे और डायबिटीज में इसकी बढ़ोतरी देखी।
उम्र बढ़ने, मोटापे और डायबिटीज को इंसुलिन स्तर में वृद्धि से जोड़ा जाता है और इस इंसुलिन वृद्धि से GRP78 की मात्रा भी बढ़ती है।
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ताज्जुब की बात यह थी कि इंसुलिन स्तर को कम करने वाली डायबिटीज की दवाओं से GRP78 प्रोटीन के स्तर को भी सफलतापूर्वक कम किया जा सका।
दूसरी ओर, चूहों पर किए एक प्रयोग में भी वैज्ञानिकों ने एक्सरसाइज और कैलोरी कम करके घटाए गए फैट टिश्यू में GRP78 के स्तर को कम होते देखा।
डायबिटीज पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्ष बताते है कि दवाओं या एक्सरसाइज जैसे उपायों से खून में मौजूद इंसुलिन को नियंत्रित करने पर कोरोना संक्रमण के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।