गर्भावस्था के दौरान प्रोटीन का कम सेवन (Low- protein intake) होने वाले बच्चे की सेहत को प्रभावित कर सकता है, ऐसा एक अध्ययन ने बताया।
अध्ययन के मुताबिक, नवजात शिशुओं को अंगों के विकास के दौरान पर्याप्त प्रोटीन न मिलने से उनमें वजन कम होने के अलावा किडनी की समस्या (Kidney Problem) भी हो जाती है।
हाल के दशकों में, मातृ स्वास्थ्य के गर्भावस्था और बाल विकास से जुड़े होने पर काफी शोध हुए है।
पीएलओएस वन पत्रिका में प्रकाशित ऐसे ही एक अध्ययन में, ब्राजील के शोधकर्ताओं ने तनाव, विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने या कुपोषण जैसे वातावरणीय कारणों को शिशुओं की जीन अभिव्यक्ति में परिवर्तन के लिए जिम्मेवार बताया।
- Advertisement -
उन्हें ऐसा शिशु चूहों के जीन को नियंत्रित करने वाले miRNAs से पता चला।
ऐसे शिशु चूहों को गर्भ धारण के समय कम प्रोटीन वाला आहार दिया गया था।
शोधकर्ताओं के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान कम प्रोटीन लेने से संतान के नेफ्रॉन (Nephron) की संख्या में 28 फीसदी तक की कमी हो जाती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रत्येक किडनी लगभग एक लाख फ़िल्टरिंग इकाइयों से बनी होती है, जिसे नेफ्रॉन कहा जाता है। ये किडनी में खून को फ़िल्टर करते है। एक स्वस्थ किडनी में लगभग एक लाख नेफ्रॉन होते है।
शिशु चूहों में भी ऐसी समस्या को देखा गया।
- Advertisement -
नेफ्रॉन की संख्या में कमी का कारण ढूंढ़ने के लिए शोधकर्ताओं ने 17 दिनों के गर्भ में पल रहे चूहों के भ्रूण की किडनी में miRNAs और जीन की अभिव्यक्ति का विश्लेषण किया।
नेफ्रोन की संख्या में गिरावट, हाइपोप्रोटीनीमिया (Hypoproteinemia) के चलते परिवर्तित जीन अभिव्यक्ति के कारण हुई।
हाइपोप्रोटीनेमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति के खून में प्रोटीन का स्तर बहुत कम होता है।
चूहों के बीच तुलनात्मक विश्लेषण में गर्भावस्था के दौरान एक समूह ने नियमित प्रोटीन आहार खाया, जबकि दूसरे समूह को कम प्रोटीन वाला आहार दिया गया।
इस कारण उनके नेफ्रॉन विकास के लिए आवश्यक 44 miRNAs में परिवर्तन हुआ।
चूहों की संतानों में कुछ जीनों की अभिव्यक्ति बदलने का ऐसा असर उनकी भावी पीढ़ियों तक होने की संभावना बताई गई।
शोधकर्ताओं के अनुसार, दुनिया की आबादी के 10 से 13 फीसदी लोग गंभीर किडनी रोग से पीड़ित है, जो उच्च रक्तचाप और हृदय विकार के खतरे से जुड़ा हुआ है।
Also Read: कोरोना वायरस संक्रमित गर्भवती महिलाओं को जान का खतरा