हर हफ्ते 55 या ज्यादा घंटे तक काम करना पुरुषों के स्वास्थ्य और जीवन को नुकसान पहुंचा सकता है।
ऐसा इनवायरमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित, विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization) की एक नई अन्तर्राष्ट्रीय रिपोर्ट में 194 देशों की कार्य-स्थिति विश्लेषण के बाद कहा गया है।
काम संबंधित बोझ के कारण घंटों काम में लगे रहना (Long Working Hours) कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा साल 2016 में स्ट्रोक (Stroke) और इस्केमिक हृदय रोग (Ischemic Heart Disease) से हुई 7,45,000 मौतें से लगाया जा सकता है।
साल 2000 के बाद से इसमें 29 फीसदी वृद्धि बताई गई है।
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एक अनुमान के मुताबिक, साल 2016 में प्रति सप्ताह 55 घंटे या उससे अधिक काम करने के परिणामस्वरूप 3,98,000 लोग स्ट्रोक से और 3,47,000 हृदय रोग से मर गए थे।
साल 2000 और 2016 के बीच, लंबे समय तक काम करने के कारण हृदय रोग से होने वाली मौतों की संख्या में 42 फीसदी और स्ट्रोक से 19 फीसदी की वृद्धि हुई।
बढ़ते काम के बोझ से विशेष रूप से पुरुषों में 72 फीसदी मौतों का इजाफा हुआ।
इसमें ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, भारत, मलेशिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और कई पिछड़े देशों के मध्यम आयु के या वृद्ध लोग शामिल थे।
दर्ज की गई अधिकांश मौतें ऐसे लोगों की थी जिन्होंने 45 से 74 वर्ष की आयु के बीच प्रति सप्ताह 55 घंटे या उससे अधिक समय तक काम किया था।
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रिपोर्ट से पता चला कि लंबे समय तक काम करना भी अब लगभग एक-तिहाई कार्य-संबंधी बीमारियों के लिए जिम्मेवार है।
सप्ताह में 35 से 40 घंटे काम करने की तुलना में 55 या अधिक घंटे काम करने से स्ट्रोक का अनुमानित जोखिम 35 फीसदी और इस्केमिक हृदय रोग से मरने का जोखिम 17 फीसदी अधिक देखा गया है।
लंबे समय तक काम करने वालों की बढ़ती संख्या के कारण अब काम से संबंधित बीमारियों और असमय मौतों से और भी अधिक लोगों को खतरा हो गया है।
वर्तमान में फैली कोरोना महामारी इस समस्या के विकास को और तेज कर रही है।
इसे नियंत्रित करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी सरकारों, मालिकों और कर्मचारियों से लंबे समय तक काम करने के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक बनने को कहा है।
संगठन ने सरकारों को विशेष रूप से उन कानूनों और नीतियों को लागू करने का अनुरोध किया है, जो अनिवार्य ओवरटाइम पर प्रतिबंध लगाने और कार्य समय की अधिकतम सीमा सुनिश्चित करने वाली हो।
इसी तरह, मालिकों और कामगार संघों को काम के समय को और अधिक लचीला बनाने का सुझाव दिया है। उनके बीच काम के घंटों की अधिकतम समय सीमा पर सहमति बननी चाहिए।
साथ ही, कर्मचारियों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्य समय प्रति सप्ताह 55 घंटे या इससे अधिक न हो।
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