Air pollution and health: दूषित हवा में सांस लेने से मौत का ख़तरा बढ़ जाता है, ये कहना है यूएस की एक स्टडी का।
नई स्टडी ने लंबे समय तक वायु प्रदूषण में रहने से हार्ट अटैक (Heart attack) पड़ने या दिल की बीमारी से मरने की आशंका जताई है।
निष्कर्षों का दावा है कि महीन वायु प्रदूषण कणों (PM2.5) का वर्तमान नियामक मानक 12 μg/m3 पर्याप्त सुरक्षात्मक नहीं है।
PM2.5 के संपर्क में आने वालों को हार्ट अटैक या कोरोनरी हार्ट डिजीज से मरने का ज़्यादा ख़तरा होता है।
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भले ही हानिकारक वायु प्रदूषकों का जोखिम स्तर एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड अनुसार या उससे कम हों।
यह चिंताजनक जानकारी 37 लाख इंसानों पर हुई की एक बड़ी स्टडी की छानबीन से मिली है।
नतीजों ने लंबे समय तक PM2.5 में रहने वालों को एक्यूट मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन, इस्केमिक हार्ट डिजीज और कार्डियोवैस्कुलर रोग से मौत का ज़्यादा डर बताया।
यह ख़तरा औद्योगिक क्षेत्रों, व्यस्त सड़कों, भारी ट्रैफिक और कई हाईवे के पास रहने वाले निम्न तबक़े के लोगों में अधिक स्पष्ट था।
पाया गया कि 12.0 और 13.9 μg/m3 के PM2.5 से हार्ट अटैक का ख़तरा 10% और दिल संबंधित अन्य बीमारियों से मरने का जोखिम 16% बढ़ जाता है।
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हालांकि, यह ख़तरा 8 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से कम के PM2.5 में नीचे चला गया।
विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए 12 μg/m3 के वर्तमान मानक की अपेक्षा 10.0 μg/m3 या उससे कम के PM2.5 को तय करने की सलाह दी।
यूएस स्थित कैसर परमानेंटे और हार्वर्ड स्कूल की यह स्टडी जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित हुई थी।
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