Night Shift Work and Heart Problems: रात की ड्यूटी करने वालों के दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है, ये कहना है एक स्टडी का।
ऐसी समस्या होने से नाइट शिफ्ट कर्मचारियों को दिल की बीमारियां घेर सकती है। इसकी संभावना दो लाख से अधिक कर्मचारियों की सेहत का विश्लेषण करने पर पाई गई।
विश्लेषण करने वाले चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों ने ऐसी जॉब से दिल की धड़कन बढ़ने या अनियमित होने जैसा दुष्प्रभाव देखा। मेडिकल भाषा में इसे एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial Fibrillation) कहा जाता है।
अपनी तरह का यह पहला अध्ययन, यूके बायोबैंक डेटाबेस के 2,83,657 लोगों की जानकारी पर आधारित था।
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वैज्ञानिकों के मुताबिक, सालों तक रात में काम करने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन इससे स्ट्रोक या हार्ट फेलियर देखने में नहीं आया। ऐसी समस्या नाइट ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों के जीन से भी प्रभावित नहीं थी।
दिन की अपेक्षा रात के कर्मचारियों को यह खतरा 12 फीसदी ज्यादा था। दस या अधिक वर्षों के बाद लगातार रात की ड्यूटी करने से यह खतरा बढ़कर 18 फीसदी हो गया। जिन लोगों ने दस या अधिक वर्षों तक एक महीने में औसतन तीन से आठ बार नाइट शिफ्ट की उनको यह खतरा 22 फीसदी से अधिक था।
नाइट शिफ्ट करने वालों को दिन में काम करने वालों के मुकाबले कोरोनरी हार्ट डिजीज (Coronary Heart Disease) यानी दिल की नसों के बंद होने का जोखिम भी अधिक था।
विशेषज्ञों ने दस साल से अधिक समय तक रात में काम करने वाली महिलाओं को पुरुषों की तुलना में एट्रियल फाइब्रिलेशन होने की आशंका अधिक बताई। दिन वालों की अपेक्षा उनका जोखिम 64 फीसदी बढ़ा हुआ था।
हालांकि, नाइट शिफ्ट कर्मचारियों के नियमित रूप से व्यायाम करने पर यह खतरा कम होता दिखा, लेकिन कम सक्रिय कर्मचारियों को खतरा बना रहा। ऐसे में, महिलाओं और शारीरिक रूप से कम सक्रिय लोगों के लिए रात की ड्यूटी में कमी करना लाभदायक हो सकता है।
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विशेषज्ञों ने सुझाव भी दिया है कि ऐसे कर्मचारियों को सीने में दर्द या बेचैनी महसूस होने पर अपने दिल की तुरंत जांच करानी चाहिए।
यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के नतीजों में, रात की ड्यूटी पर जाने की आवृत्ति और अवधि दोनों को कम करना दिल और रक्त वाहिकाओं (blood vessels) के लिए फायदेमंद बताया गया है।
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