लंबे समय तक ज़्यादा चिकनाई वाला भोजन (High-fat diet) कमर का साइज़ तो बढ़ाता ही है, साथ ही दिमाग को भी नुकसान पहुंचाता है।
साउथ ऑस्ट्रेलिया में हुई एक स्टडी की मानें तो अधिक घी-तेल में बनी खाने की वस्तुएं न केवल इंसानों की कमर बल्कि मस्तिष्क के लिए भी हानिकारक है।
चूहों पर हुई स्टडी में लगभग सात महीनों तक हाई फैट डाइट खिलने से उनमें डायबिटीज सहित चिंता, डिप्रेशन और अल्जाइमर रोग जैसी मानसिक दिक्कतें दर्ज की गई।
यही नहीं, ख़राब मानसिक क्षमताओं वाले चूहों में मेटाबॉलिज़्म बिगड़ने के कारण अत्यधिक वजन होने की संभावना भी थी।
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ऑस्ट्रेलिया और चीन के खोजकर्ताओं ने स्टडी से जुड़े नतीजे मेटाबोलिक ब्रेन डिजीज में प्रकाशित किए है।
उनके मुताबिक़, इससे मोटापे और डायबिटीज के अल्जाइमर रोग को प्रभावित करने के सबूत मिलते है, जिसके साल 2050 तक 10 करोड़ मामले होने का अनुमान है।
मोटापा और डायबिटीज सेंट्रल नर्वस सिस्टम को ख़राब करते है, मानसिक विकारों और सोचने-समझने की क्षमता में गिरावट को बढ़ाते है।
खोजकर्ताओं ने अंदेशा जताया कि चिकनी-चुपड़ी चीजें खाने से मोटे लोगों में डिप्रेशन होने का जोखिम लगभग 55 प्रतिशत बढ़ेगा और डायबिटीज उस जोखिम को दोगुना कर देगा।
इसलिए, उन्होंने वैश्विक स्तर पर बढ़ रही मोटापा महामारी को रोकने पर ज़ोर दिया। इससे इंसानों के दिमाग को कमज़ोर करने वाली बीमारियों में भी इज़ाफ़ा होगा।
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