एक नई स्टडी ने रात के समय आर्टिफिशियल रोशनी की अधिकता से अल्जाइमर (Alzheimer) रोग का खतरा बताया है।
यह खतरा एलईडी युक्त स्ट्रीट या फ्लड लाइट की तेज रोशनी से 65 से कम उम्र वालों को हो सकता है।
रात के लाइट पॉल्यूशन (Nighttime light pollution) से कई बीमारियों का जोखिम है, लेकिन अल्जाइमर का पहली बार पता चला है।
बता दें कि अल्जाइमर रोग के कारण दिमाग सिकुड़ जाता है और कोशिकाएं मर जाती हैं।
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रोग पीड़ितों की याददाश्त, सोचने, व्यवहार और सामाजिक कौशल में धीरे-धीरे गिरावट आने लगती है।
रश यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के विशेषज्ञों की यह स्टडी फ्रंटियर्स इन न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुई थी।
जानकारी के लिए उन्होंने सैटेलाइट की मदद से यूएस में रात की आउटडोर लाइट और मेडिकल डेटा का उपयोग किया था।
हालांकि रोग के ठोस कारण अज्ञात थे, लेकिन 65 से कम वालों को अन्य जोखिमों की अपेक्षा रात के तेज प्रकाश से अल्जाइमर की ज्यादा संभावना थी।
विशेषज्ञों के अनुसार, युवाओं में कुछ जीन प्रारंभिक अल्जाइमर रोग को प्रभावित कर सकते हैं।
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यही जीन रात के समय तेज आर्टिफिशियल रोशनी के संपर्क में आने से अधिक उग्र होने का अनुमान है।
इसके अतिरिक्त, शहरी क्षेत्रों और आउटडोर रोशनी में ज्यादा गुजरने वाली लाइफस्टाइल से भी रोग की संभावना बढ़ती है।
रात की आर्टिफिशियल रोशनी शरीर की सोने-जागने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है, जिसे सर्कैडियन रिदम कहा जाता है।
इस प्राकृतिक प्रक्रिया के बाधित होने से इंसानों में बीमारियां पैदा करने वाली सूजन बढ़ सकती है।
बचाव के लिए रात को सोते समय कमरे की खिड़कियां पर्दे से ढकना या आंखों पर मास्क लगाकर सोना कहा गया है।
फिलहाल बाहरी रोशनी से अल्जाइमर के संबंध को बेहतर समझने के लिए आगे के परीक्षणों की आवश्यकता है।