Tips for Better Sleep: आज के दौर में नींद न आने की समस्या बड़ों से लेकर बच्चों तक में देखने-सुनने को मिल जाती है।
समय-समय पर विशेषज्ञों ने अच्छी और गहरी नींद (Deep Sleep) न आने से अनेकों बीमारियां होने की बात भी कही है, तो भी नींद में सुधार की बात सिर्फ दवा खाने तक ही सीमित हो जाती है।
ऐसे में वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नींद के स्वास्थ्य (Sleep Health) में सुधार के लिए जरूरी व्यावहारिक कदम उठाने से संबंधित एक अध्ययन किया है।
इस नए अध्ययन में उन्होंने तीन हजार से ज्यादा वयस्कों की नींद, जीवनशैली और स्वास्थ्य की जांच की है।
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उन्होंने जाना कि नींद को आजीवन प्रभावित करने वाले बहुत से कारण जैसे खान-पान, फिजिकल एक्टिविटी, टीवी देखना, मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया इस्तेमाल आदि इंसानों की जीवनशैली से जुड़े है।
नींद लाने वाली दवाओं से इन कारणों को दूर करना मुश्किल है।
असल में इन आदतों में सुधार से ही इंसानों के लिए अच्छी नींद और स्वास्थ्य को लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है।
अध्ययन में विशेषज्ञों ने पाया कि खराब नींद से जुड़ी ज्यादातर दिक्कतें बुजुर्गों को थी। उनके बाद अधेड़ उम्र वालों और युवाओं ने ऐसा बताया।
सभी उम्र वालों में जंक फूड खाना, कम सक्रियता, दिन के समय अनियमित एक्टिविटी, ज्यादा मोबाइल, इंटरनेट और टीवी देखना जैसी आदतें नींद पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव से जुड़ी मिली।
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विशेषज्ञों ने यह भी नोटिस किया कि चलना-फिरना या आलसी बने रहना सभी उम्र वालों में अच्छी नींद से बहुत बारीकी से जुड़ा था।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि अधिक सोशल मीडिया का उपयोग खराब और कम नींद से जुड़ा था और यह जुड़ाव उम्र के साथ बढ़ता गया।
उनके अनुसार, उम्र बढ़ने से आए बदलाव नींद पर जबरदस्त असर डालते है, इसलिए हमें ऐसी आदतें बनाए रखनी चाहिए जो नींद की गुणवत्ता को बढ़ावा देने में मदद करें।
अध्ययन के नतीजे बताते है कि कम फास्ट फूड खाने, कम टीवी या मोबाइल देखने, इंटरनेट और सोशल मीडिया पर कम समय बिताने के साथ-साथ नियमित जीवनशैली जीने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से उच्च गुणवत्ता वाली स्वस्थ नींद आजीवन लेना संभव है।
वयस्कों की नींद की गुणवत्ता, कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य पर हुआ यह अध्ययन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।