लांसेट पत्रिका द्वारा प्रकाशित ‘The Global Burden of Disease Study (GBD) की माने तो 2019 में भारत में सर्वाधिक मौत जिन वजहों से हुई उनमे वायु प्रदूषण (Air Pollution), उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure), खराब आहार (Poor Diet), तंबाकू का सेवन (Tobacco consumption) और मधुमेह (Diabetes) प्रमुख रहे.
वैज्ञानिकों के अनुसार, वायु प्रदूषण (air pollution) के बाद उच्च रक्तचाप (high blood pressure) तीसरा प्रमुख खतरनाक कारक है जो भारत के आठ राज्यों में 10 से 20 प्रतिशत तक खराब स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार है।
अध्ययन में यह भी पता चला कि भारत में गैर-संक्रामक रोग (Non-Communicable Diseases- NCD) जैसे हृदय रोग, मधुमेह, सीओपीडी (Chronic Obstructive Pulmonary Disease -COPD) और दौरे पड़ने (Seizures) जैसे बीमारियों ने पिछले 30 सालों में सबसे ज्यादा सेहत (health) का नुकसान किया.
ये रोग आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरण और जीवन-शैली जैसे कारकों का परिणाम होते है।
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किस रोग से कितनी मौत
इस स्टडी में दुनियाभर के 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों को शामिल कर वहाँ हुई मौत के 286 से अधिक कारणों और 369 बीमारियों का अध्ययन किया गया.
अध्ययन के अनुसार 2019 में भारत में मौत के जोखिम वाले पांच शीर्ष कारकों में वायु प्रदूषण (air pollution) (लगभग 16.7 लाख मौत), उच्च रक्तचाप (high blood pressure) (14.7 लाख), तंबाकू का उपयोग (12.3 लाख), खराब आहार (11.8 लाख) और मधुमेह से (11.2 लाख मौत) हुई हैं.
वैज्ञानिकों के अनुसार, वायु प्रदूषण के बाद उच्च रक्तचाप तीसरा प्रमुख खतरनाक कारक है जो भारत के आठ राज्यों में 10-20 प्रतिशत तक स्वास्थ्य हानि लिए जिम्मेदार है.
जीवन काल बढ़ा मगर…
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अध्ययन में पता चला है कि वैसे तो भारत में 1990 से लेकर पिछले तीन दशक में जीवन प्रत्याशा (Life expectancy) 10 वर्ष से अधिक बढ़ी है, लेकिन इन मामलों में राज्यों के बीच काफी असमानता है.
अध्ययन के अनुसार, वर्ष 1990 में भारत में जीवन प्रत्याशा 59.6 वर्ष थी जो 2019 में बढ़कर 70.8 वर्ष हो गई. केरल में यह 77.3 वर्ष है वहीं उत्तर प्रदेश में 66.9 वर्ष है.
अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय बीमारी (Disease) और अक्षमताओं (Disabilities) के साथ ज्यादा वर्ष गुजार रहे हैं.
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