लगातार तनाव (Stress) में रहने वाली महिलाओं को स्ट्रोक (Stroke) पड़ने का अधिक खतरा होता है।
ऐसा हाल ही में हुई अंतर्राष्ट्रीय न्यूरोलॉजिस्ट की एक साझा स्टडी में पाया गया है।
स्टडी में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में तनाव और स्ट्रोक के बीच स्पष्ट संबंध देखा गया है।
लेकिन न्यूरोलॉजिस्ट टीम को महिलाओं में तनाव का कोई खास कारण ज्ञात नहीं हुआ है।
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स्टडी से यह भी साबित नहीं हुआ कि तनाव ही स्ट्रोक का कारण बनता है, केवल एक लिंक मिला है।
टीम के अनुसार, लोगों में अक्सर कामकाज के बोझ से तनाव होना आम बात है।
हालांकि, तनाव स्तर ऊंचा रहने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य नकारात्मक रूप से प्रभावित होते है।
दिलचस्प बात थी कि स्टडी ने तनाव से पुरुषों को नहीं बल्कि युवा महिलाओं को स्ट्रोक का खतरा अधिक बताया।
स्टडी में बिना किसी ज्ञात कारण के इस्केमिक स्ट्रोक (Ischemic Stroke) पीड़ित 18 से 49 वर्ष के 426 पुरुष-महिलाएं शामिल थे।
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गौरतलब है कि दिमाग के किसी हिस्से में खून रुक जाने से इस्केमिक स्ट्रोक पड़ता है।
इससे कमजोरी, बोलने में परेशानी, दृष्टि संबंधी समस्याएं या मौत भी हो सकती है।
गहन जांच के लिए टीम ने उपरोक्त 426 इंसानों के स्वास्थ्य का मिलान बिना स्ट्रोक वालों से किया।
स्ट्रोक वाले लोगों में से 46% में तनाव स्तर मध्यम या उच्च था, जबकि बिना स्ट्रोक वालों में यह 33% था।
विश्लेषण बाद टीम ने पाया कि महिलाओं में मध्यम तनाव से स्ट्रोक का 78%, जबकि उच्च तनाव से 6% अधिक खतरा था।
हैरानी की बात थी कि टीम को पुरुषों में तनाव और स्ट्रोक के बीच कोई संबंध नहीं मिला।
तनाव से महिलाओं में ही स्ट्रोक संभावना अधिक क्यों, यह समझने के लिए आगे खोज की आवश्यकता कही गई।
अधिक खोजबीन से इंसानों का स्ट्रोक रोकने के बेहतर तरीके ढूंढ़ने में मदद मिल सकती है।
यह स्टडी मेडिकल जर्नल न्यूरोलॉजी® में प्रकाशित हुई थी।
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