Diabetes in India: एक हालिया रिपोर्ट की मानें तो भारत में टाइप -2 डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है और पुरुषों पर इस बीमारी का शिकंजा कसता जा रहा है।
एसआरएल डायग्नोस्टिक्स की इस नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सात करोड़ 70 लाख लोग डायबिटीज की चपेट में है, जिनमें पुरुषों का प्रतिशत ज्यादा मिला है।
डायबिटीज के प्रति आगाह करती रिपोर्ट, जनवरी 2017 से सितंबर 2021 तक ब्लड ग्लूकोज जानने के लिए किए जाने वाले एचबीए1सी (HbA1c) टेस्ट के कुल 21,88,761 नमूनों के विश्लेषण पर आधारित है।
रिपोर्ट में पुरुषों को डायबिटीज का और महिलाओं को प्रीडायबिटीज (Prediabetes) होने का जोखिम अधिक बताया गया है।
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बता दें कि प्रीडायबिटीज में ब्लड ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन इतना अधिक नहीं होता है कि इसे टाइप -2 डायबिटीज माना जाए।
परीक्षण किए गए कुल नमूनों में से 42 प्रतिशत डायबिटीज के, 35 प्रतिशत प्रीडायबिटीज के, जबकि 23 प्रतिशत सामान्य ब्लड ग्लूकोज स्तर के थे।
डायबिटीज से ग्रस्त पुरुषों का 46 प्रतिशत महिलाओं के 37 प्रतिशत से अधिक पाया गया। दूसरी ओर, प्रीडायबिटीज वाली महिलाओं (36 प्रतिशत) की संख्या पुरुषों (34 प्रतिशत) की तुलना में थोड़ी अधिक थी।
रिपोर्ट के अनुसार, देश में 61 से 85 वर्ष वाले डायबिटीज के सबसे अधिक शिकार (58 प्रतिशत) मिले। इसके बाद, 46 से 60 वर्ष (51 प्रतिशत) के लोग थे।
राज्यों की बात करें तो कोलकाता में 47 प्रतिशत के साथ डायबिटीज वाले ज्यादा स्तर पर मिले। इसके बाद, बेंगलुरु (45 प्रतिशत), दिल्ली (42 प्रतिशत), मुंबई और चेन्नई (37 प्रतिशत) का स्थान रहा।
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प्री-डायबिटीज में मुंबई (39 प्रतिशत) सबसे प्रमुख रहा। इसके बाद, दिल्ली (37 प्रतिशत), कोलकाता (36 प्रतिशत), बैंगलोर (35 प्रतिशत) और चेन्नई (34 प्रतिशत) का स्थान आया।
रिपोर्ट में जारी कंपनी के बयान में चिंता जताते हुए कहा गया है कि दुनिया में डायबिटीज से पीड़ित छह इंसानों में से एक भारत से है।
साल 2019 की बात करें तो भारत में डायबिटीज के 20 से 79 वर्ष की आयु वाले रोगियों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या थी और लगभग सात करोड़ 70 लाख लोग डायबिटीज की चपेट में मिले।
ऐसे में, बीमारी का जल्द इलाज, व्यापक जागरूकता और जीवनशैली में बदलाव ही भावी पीढ़ियों को स्वस्थ रखने का एकमात्र रास्ता है।
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