Smoking in India: भारत में लोगों को स्मोकिंग सेहत से ज्यादा प्यारी है। एक नई रिपोर्ट के आंकड़े तो ऐसा ही दर्शाते है।
देश में तंबाकू की बढ़ती खपत बताने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सिगरेट-बीड़ी पीने में भारतीय दूसरे नंबर पर और छोड़ने के मामले में सबसे फिसड्डी देशों में से एक है।
ताज्जुब की बात तो ये थी की स्मोकिंग करने वाले 16 वर्ष के नाबालिग से लेकर 64 वर्ष तक के बुजुर्ग निकले। हालांकि, स्मोकिंग करने वाले 37 प्रतिशत भारतीयों ने इस लत को छोड़ने की इच्छा भी जाहिर की है।
विश्व बैंक जैसे स्रोतों से मिले डाटा का उपयोग करते हुए ‘द इंटरनेशनल कमीशन टू रिग्नाइट द फाइट अगेंस्ट स्मोकिंग’ द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और भारत में छोटी से लेकर बड़ी उम्र तक के 50 करोड़ से अधिक तंबाकू उपयोगकर्ता है।
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इनमें महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की संख्या तिगुनी से अधिक है। बावजूद इसके, यहां के पुरुषों की स्मोकिंग छोड़ने की दर 20 प्रतिशत से भी कम है।
बताते चलें कि चीन के बाद भारत के लोग सर्वाधिक धूम्रपान करने वालों में दूसरे स्थान पर है। यही नहीं, देश में चबाने वाले तंबाकू की खपत भी अधिक है, जो मुंह के कैंसर की उच्चतम दर के लिए जिम्मेदार नशा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में अनुमानित एक अरब 14 करोड़ लोग अभी भी तंबाकू का उपयोग करते है, जिससे लगभग 80 लाख लोग मारे जाते है और सालाना लगभग 20 करोड़ लोगों का जीवन विकलांगता में बीत जाता है। इसके अलावा, देशों की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान होता है सो अलग।
इससे बचने के लिए लगभग सभी देश तंबाकू उत्पादों की मार्केटिंग और बच्चों को इनकी प्रत्यक्ष बिक्री पर प्रतिबंध लगाते है, लेकिन विकासशील और गरीब देशों में इन प्रतिबंधों को सख्ती से लागू नहीं किया जाता है।
यहां तक कि स्कूलों के आसपास भी तंबाकू उत्पादों की मार्केटिंग और बिक्री धड़ल्ले से होती है, जिससे बच्चे और युवा उनकी तरफ खींचे चले जाते है।
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ऐसे में रिपोर्ट तंबाकू से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए स्वास्थ्य प्रेरित संदेश देने वाली सर्वोत्तम सूचनाओं को प्रसारित करने की सिफारिश करती है।
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