एक हालिया स्टडी ने माइंडफुलनेस (Mindfulness) की अपेक्षा जीवन में उम्मीद (Hope) रखने को अधिक फ़ायदेमंद पाया है।
नतीजों में आशावादी रहने से लोगों को तनाव (Stress) घटाने और कामकाज से जुड़े रहने में मदद मिलने की संभावना थी।
स्टडी रिसर्चर्स ने वर्तमान के मुश्किल पलों की बजाय आगे सुखद समय पर ध्यान देने को महत्वपूर्ण बताया है।
बता दें कि माइंडफुलनेस अभ्यास में किसी व्यक्ति को वर्तमान समय पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जाती है।
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हालांकि, अगर कोई इंसान तनाव भरे दौर से गुज़र रहा हो तो उसके लिए माइंडफुलनेस कठिन काम है।
इस बारे में यूएसए रिसर्चर्स को कोविड-19 महामारी में हुए दो सर्वेक्षणों में शामिल 247 संगीतकारों से पता चला।
सर्वेक्षणों में उनसे कोविड-19 महामारी की शुरुआत में उपजे विचारों और अनुभवों के बारे में पूछा गया था।
महामारी के दौरान वो कितने आशावादी और माइंडफुलनेस अभ्यासी रहे, यह भी जाना गया।
प्राप्त डेटा के विश्लेषण से उनकी आशा, माइंडफुलनेस, संपूर्ण स्वास्थ्य तथा काम के प्रति दृष्टिकोण पता चले।
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नतीजों ने माइंडफुलनेस की तुलना में सुखद जीवन की आशा से लोगों को अधिक खुशहाल पाया।
रिसर्चर्स के मुताबिक, जीवन में आशावान और प्रसन्नचित लोग कम परेशानियों का अनुभव करते हैं।
वो अपने कामकाज में अधिक व्यस्त रहते हैं और उससे संबंधित टेंशन भी कम महसूस करते हैं।
रिसर्चर्स ने लंबे समय के तनाव में जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण बनाए रखना अति महत्वपूर्ण बताया।
इसके अलावा, कंपनी द्वारा भी काम के प्रति सजग कर्मचारियों को प्रसन्न व ऊर्जावान बनाए रखने की कोशिश होनी चाहिए।
दक्षिण कैरोलिना स्थित क्लेम्सन यूनिवर्सिटी की यह स्टडी स्ट्रेस एंड हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।