अगर आप सोचते है कि पहाड़ी इलाकों में रहने वाले मैदानी इलाकों में रहने वालों की अपेक्षा ज्यादा स्वस्थ होते है तो जरा ये पढ़िए।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-इंडिया डायबिटीज (ICMR-INDIAB) के एक अध्ययन में हिमाचल प्रदेश के निवासियों को भी ह्रदय रोग, मोटापे, उच्च रक्तचाप और डायबिटीज से पीड़ित बताया गया है।
सितंबर 2019 से मार्च 2020 तक आयोजित हुए इस सर्वेक्षण में राज्य के लगभग 4,000 लोगों को शामिल किया गया था।
अध्ययन में कहा गया है कि प्रदेश में लगभग 77 प्रतिशत लोगों के खून में फैट की मात्रा असामान्य है जिससे उनमें हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है, लगभग 39 प्रतिशत लोग मोटापे से पीड़ित है और 11.5 प्रतिशत लोगों को डायबिटीज है।
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टाइप टू डायबिटीज बीमारी बढ़ने के मामले में तो हिमाचल पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड से भी आगे निकलता जा रहा है।
यही नहीं, इसकी आधे से अधिक आबादी की कमर का आकार बढ़ा हुआ है, जिसकी वजह से प्रदेश को मोटापे के मामले में चौथा सबसे खराब राज्य बताया गया है।
अध्ययन से यह भी पता चला है कि राज्य में लगभग 31 प्रतिशत लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित है।
ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में रहने वाले पुरुषों और महिलाओं के बीच इन विकारों को अधिक देखा गया।
क्या है इसका कारण
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अध्ययन में इन सभी विकारों के पीछे अस्वास्थ्यकर भोजन की आदतें और तेजी से बढ़ती बैठे रहने वाली जीवनशैली को जिम्मेदार बताया गया है।
वाहनों, मशीनों और बैठने वाली नौकरियों के कारण निवासियों में व्यापक शारीरिक श्रम की कमी पाई गई।
यहां के निवासियों के भोजन में 78 प्रतिशत गेहूं और 21 प्रतिशत चावल की खपत देखी गई है। लेकिन लोग पूरे अनाज का सेवन न करके बड़े पैमाने पर रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का सेवन कर रहे है।
फल और सब्जियां पर्याप्त रूप से आहार में मौजूद नहीं है। इस तरह के भोजन में फाइबर और पोषक तत्वों की कमी होती है।
इसके अलावा मुख्य भोजन के बीच में लोग नाश्ते के तौर पर समोसे जैसे अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों को खा रहे है।
चिंता की बात है कि भारी-भरकम और लगातार अनहेल्थी खाने के बावजूद लोगों शारीरिक गतिविधि कम करते है।
अध्ययन में साठ प्रतिशत उत्तरदाताओं को शारीरिक रूप से इनएक्टिव पाया गया। केवल पांच प्रतिशत निवासी ही अत्यधिक एक्टिव मिले।