बाज़ार में बिकने वाले अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड (Ultra-processed food) प्रोडक्ट्स के अधिक सेवन से डिप्रेशन (Depression) हो सकता है।
ये जानकारी दी है ऑस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी के स्वास्थ्य शोधकर्ताओं की टीम ने।
उनकी वर्तमान स्टडी हाल ही में जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर में प्रकाशित हुई है।
निष्कर्षों में, रोज़ाना 30% से अधिक अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड खाने वालों में डिप्रेशन के लक्षण गहराते मिले है।
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ऐसे भोजन में जंक और फास्ट फूड के अलावा रेडी-टू-हीट-एंड-ईट जैसे फ़ूड प्रोडक्ट्स भी शामिल है।
पहले हुई स्टडीज़ ने भी उपरोक्त फ़ूड में मिले केमिकल्स और अन्य पदार्थों से सेहत को नुकसान बताया था।
वर्तमान स्टडी में ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों के अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड सेवन से डिप्रेशन का लिंक जाना गया है।
23,000 से अधिक नागरिकों की जांच में कम अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड खाने वालों की तुलना में शौक़ीनों का डिप्रेशन हाई मिला है।
स्टडी की शुरुआत में उन शौक़ीनों को डिप्रेशन और चिंता नहीं थी। लेकिन 15 साल बाद डिप्रेशन की आशंका लगभग 23% अधिक मिली है।
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स्मोकिंग और कम एक्सरसाइज जैसे कारणों से अलग अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड की अधिक खपत से डिप्रेशन में तेजी जानी गई है।
टीम के अनुसार नतीजे दर्शाते है कि अधिक अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड खाने से डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।
गौरतलब है कि डिप्रेशन दुनिया भर में तेजी से फैलने वाले सबसे आम मानसिक विकारों में से एक है।
समस्या के पीड़ितों में कम ऊर्जा, भूख, नींद, रुचि या आनंद देखा गया है। ऐसी परेशानी वाले कभी-कभी आत्महत्या भी कर लेते है।
हालांकि, खान-पान की आदतों से उत्पन्न डिप्रेशन को जानकर स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने में अधिक मदद मिल सकती है।
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