शहरी क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण (Air pollution) से बच्चों में मोटापे (Obesity) की बीमारी बढ़ सकती है।
स्पेन में 9 से 12 वर्ष के 2,000 से अधिक बच्चों पर हुई एक स्टडी में यह आशंका जताई गई है।
स्टडी करने वाले बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के एक्सपर्ट्स की मानें तो ज्यादा वायु प्रदूषण, शोर और ट्रैफिक के सम्पर्क में आने वाले शहरी बच्चे छोटी उम्र में ही मोटापे का शिकार हो सकते है।
स्टडी में शामिल शहरों में रहने वाले लगभग चालीस प्रतिशत बच्चे अधिक वजन वाले या मोटे पाए गए।
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इसके कारणों को ढूंढ़ने के लिए बच्चों के घर, आसपास की जगहों, खान-पान, शारीरिक गतिविधि, नींद की अवधि, वायु प्रदूषण, ट्रैफिक और वाहनों का शोर आदि का विश्लेषण किया गया।
एक्सपर्ट्स को उच्च स्तर वाला वायु प्रदूषण, यातायात और शोर, ज्यादा बॉडी मास इंडेक्स तथा अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने की बड़ी संभावना से जुड़े मिले। लेकिन ऐसा क्यों था, इसकी वजह अस्पष्ट थी।
ऐसे में उनका अनुमान था कि वायु प्रदूषण कोशिकाओं की कार्यप्रणाली को बाधित कर सूजन, हार्मोन गड़बड़ी और शरीर की चर्बी को बढ़ाकर मोटापा कर सकता है।
दूसरी ओर, वाहनों का शोर नींद को प्रभावित कर तनाव हार्मोन बढ़ा सकता है। इससे शारीरिक विकास रुकने और अधिक वजन होने का खतरा पैदा हो सकता है।
इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों के फास्ट फूड आउटलेट्स पर बिकने वाला खराब भोजन भी बचपन के मोटापे का कारण हो सकता है।
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हालांकि, एक्सपर्ट्स ने शहरी वातावरण और बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी, बैठे रहने एवं अन्य व्यवहारों के बीच कोई संबंध नहीं पाया, लेकिन ये स्थितियां भी मोटापा बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
अंत में, उनका मानना था कि शहरी वातावरण और बचपन के मोटापे के बीच संबंध कायम करने में किसी बच्चे की सामाजिक-आर्थिक स्थिति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसके विषय में और खोज करने की जरूरत है।
बार्सिलोना के एक्सपर्ट्स की यह स्टडी एनवायरनमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित हुई है।