High heat killing young people: अभी तक गर्माते मौसम से बुजुर्गों को मौत का ज्यादा खतरा माना गया है।
लेकिन मेक्सिको पर हुई एक नई रिसर्च ने इस धारणा को गलत साबित किया है।
रिसर्च में अत्यधिक गर्मी से संबंधित 75% मौतें 35 वर्ष से कम उम्र वालों की मिली है।
नतीजों में 18 से 35 वर्ष वालों सहित कम उम्र के बच्चों की भी अधिक मौत पाई गई है।
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इस बारे में यूएस रिसर्चर्स ने wet-bulb temperature scale से तापमान का मुआयना किया था।
यह तरीका धूप में काम करते या खेलते समय मानव शरीर पर गर्मी-संबंधी तनाव बताता है।
विश्लेषण में वर्ष 1998 से 2019 तक मेक्सिको में हर साल ज्यादा गर्मी से लगभग 3,300 मौतें हुईं थी।
इनमें से लगभग एक तिहाई 18 से 35 वर्ष सहित 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों, विशेष रूप से शिशुओं में हुईं।
आश्चर्यजनक रूप से, 50 से 70 वर्ष की आयु वालों में गर्मी संबंधित मृत्यु दर सबसे कम देखी गई।
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इससे रिसर्चर्स का अनुमान था कि गर्माते मौसम संबंधित मौतें बढ़ेंगी और युवा सबसे अधिक पीड़ित होंगे।
जलवायु परिवर्तन से जुड़े उलटफेर के पीछे है कई कारण
युवा खेती, खेलकूद व निर्माण कार्यों से बाहरी वातावरण में ज्यादा रहते है। इससे उनमें पानी की कमी और हीट स्ट्रोक हो सकता है।
यही संभावना इनडोर कंस्ट्रक्शन पर भी लागू होती है, जहाँ गर्मी में एयर कंडीशनिंग की कमी होती है।
शिशुओं एवं छोटे बच्चों का शरीर गर्मी जल्दी सोख्ता हैं। उनकी पसीना बहाने और ठंडा होने की क्षमता पूर्णतया विकसित नहीं होती है।
उनका कमजोर इम्यून सिस्टम गर्मी से जुड़ी वेक्टर-जनित और दस्त संबंधी बीमारियों का जल्द शिकार बन जाता है।
दैनिक तापमान और मृत्यु दर के आंकड़ों में बुज़ुर्ग मुख्य रूप से गर्मी से नहीं, बल्कि मामूली ठंड से मरते मिले।
गौरतलब है कि मेक्सिको में ज्यादा गर्म और ठंडे जैसे जलवायु क्षेत्र हैं।
अन्य बातों के अलावा, बुजुर्गों का कोर तापमान कम होने के कारण वे ठंड के प्रति अधिक कमजोर हो जाते हैं।
गर्मी से बचकर घर में रहने वाले बुजुर्गों को संक्रमित रोग अधिक आसानी से जकड़ सकते है।
रिसर्च में लगभग 13 डिग्री सेल्सियस (40% आर्द्रता के साथ 71 डिग्री फ़ारेनहाइट के बराबर) का वेट-बल्ब तापमान युवाओं के लिए आदर्श था।
यह सीमा न्यूनतम मृत्यु दर से संबंधित मिली है, जबकि सबसे अधिक मौतें 23 या 24 डिग्री सेल्सियस के वेट-बल्ब तापमान पर हुईं।
बता दें कि 31 डिग्री सेल्सियस का वेट-बल्ब तापमान मनुष्यों के लिये अत्यधिक हानिकारक होता है।
रिसर्च के अनुसार, वर्ष 2000 से गर्मी-संबंधित मौतों का अनुपात बढ़ रहा है। इसके आगे भी जारी रहने की उम्मीद है।
रिसर्चर्स अब संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राज़ील सहित अन्य देशों में रिसर्च करके नए नतीजों को पुख्ता करना चाहती है।
इस बारे में और जानकारी Science Advances में छपी रिपोर्ट से मिल सकती है।