कॉफी में मौजूद कैफीन (Caffeine) आंखों की बीमारी विकसित कर अंधा बना सकती है, ऐसा एक बड़े अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में पाया गया है।
अध्ययन के निष्कर्ष बताते है कि दिन भर में ज्यादा कैफीन लेने से जेनेटिक समस्या (Genetic Predisposition) वालों की आंखों में बनने वाले उच्च दबाव (Intraocular Pressure) के कारण ग्लूकोमा (Glaucoma) का खतरा तीन गुना अधिक बढ़ सकता है।
ग्लूकोमा आंखों से जुड़ी एक बीमारी है। इसे आम भाषा में काला मोतिया भी कहा जाता है।
न्यू यॉर्क सिटी स्थित माउंट सिनाई हेल्थ सिस्टम द्वारा किए अध्ययन के विशेषज्ञों की सलाह थी कि ग्लूकोमा के पारिवारिक इतिहास वाले मरीजों को कैफीन का सेवन कम करना चाहिए।
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दुनिया भर में ग्लूकोमा अंधेपन का प्रमुख कारण है।
आंखों के तरल पदार्थ के बाहर न निकल पाने से बनने वाला दबाव ग्लूकोमा बढ़ाता है।
ग्लूकोमा के रोगी आमतौर पर कोई लक्षण अनुभव नहीं करते, लेकिन बीमारी बढ़ने पर उनकी आंखों की रोशनी जा सकती है।
हालांकि, अध्ययन में कैफीन का ग्लूकोमा पर बुरा असर केवल उन लोगों में ही दिखा जिनमें पारिवारिक इतिहास के कारण आंखों में अधिक दबाव बनने का खतरा था।
इस बात का खुलासा एक लाख से अधिक इंसानों के स्वास्थ्य संबंधित आंकड़ों की जांच से हुआ। जांच में 39 से 73 साल के इंसान शामिल थे।
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सभी की सेहत, डीएनए सैंपल, आंखों में दबाव की स्थिति आदि रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया तो पता चला कि जिन लोगों ने चार कप कॉफी (480 मिलीग्राम से अधिक) का सेवन किया, उनकी आंखों का दबाव 0.35 mmHg अधिक था।
इसके अतिरिक्त, जेनेटिक समस्या से ग्रस्त लगभग तीन कप कॉफी (321 मिलीग्राम से अधिक) पीने वालों में, कम कॉफी पीने वालों के मुकाबले ग्लूकोमा होने का खतरा तीन गुना अधिक था।
गौरतलब है कि कम कॉफी पीने वालों को पहले से ही कोई जेनेटिक समस्या नहीं थी। .
अध्ययन का सुझाव था कि ग्लूकोमा की उच्चतम जेनेटिक समस्या वालों को कैफीन कम करने से फायदा हो सकता है।