जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती जा रही है, दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों में दिल से जुड़ी समस्याओं के मामलों में तेजी आ रही है।
कड़ाके की ठंड और कोरोना से ठीक होने के बाद हुई शारीरिक समस्याओं ने हृदय रोग के पीड़ितों में और वृद्धि की है।
पिछले मौसम की तुलना में साल 2020-21 की सर्दियों में अस्पतालों में हृदय-संबंधी समस्याओं से ग्रस्त मरीजों में कम से कम 50 प्रतिशत वृद्धि हो रही है, जिसमे दिल के दौरे और स्ट्रोक सहित अन्य मामलों में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है, ऐसा डॉक्टरों का मानना है।
अस्पतालों में आए अधिक मरीज
- Advertisement -
अकेले गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में दिसंबर की शुरुआत से ही हृदय की समस्याओं वाले रोगियों में 50 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
दिल्ली के आकाश हेल्थकेयर ने भी पिछले दो महीनों में अस्पताल में दिल की समस्याओं वाले रोगियों की औसत संख्या में इजाफे की बात मानी है। नवंबर के बाद से यहाँ अब तक औसतन 500 रोगी आए है जबकि पिछले वर्षों की सर्दियों के दौरान लगभग 300 रोगी जाँच के लिए आये थे।
पिछले 3 हफ्तों में, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने भी दिल के दौरे और सीन में दर्द (एनजाइना) के मामलों में वृद्धि देखी है।
इसके पीछे क्या कारण
- डॉक्टरों के अनुसार हृदय-संबंधी समस्याओं में उछाल का कारण इस बार सर्दी में असाधारण रूप से तापमान कम होना और कोरोना के बाद की जटिलताएं हैं।
- सर्द तापमान रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ता है और रक्तचाप बढ़ाता है, जिससे दिल का दौरा या स्ट्रोक पड़ते है।
- इसके अलावा, COVID-19 भी शरीर की संचार प्रणाली को प्रभावित करता है।
- वायरस के सम्पर्क में आने पर दिल का दौरा या स्ट्रोक होने का अधिक खतरा होता है।
- COVID-19 रक्त को गाढ़ा बनाता है और इस तरह दिल की धमनियों को रोकता है।
जेएएमए कार्डियोलॉजी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध में भी दावा किया गया कि कोरोना से उबरने वाले 78 प्रतिशत रोगियों में हृदय-संबंधी असामान्यताएं थीं, जबकि 60 प्रतिशत में म्योकार्डिअल सूजन जारी थी। दिल को नुकसान बताने वाले ब्लड एंजाइम ट्रोपोनिन्स का उच्च स्तर भी ऐसे मरीजों में देखा गया था।
- Advertisement -
डॉक्टरों के मुताबिक दिल के मरीजों की संख्या इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि महामारी के बीच पहले से ही दिल की समस्याओं से पीड़ितों की दैनिक जांच नहीं हो पायी थी। अब ऐसे पीड़ित तापमान में गिरावट के बाद और भी बीमार हो गए है।
क्या सावधानी बरतें ऐसे मरीज
डॉक्टरों ने हृदय रोग वाले और जो पिछले कुछ महीनों में कोरोना संक्रमण से उबर चुके है ऐसे मरीजों को सर्तक रहने और विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है।
उनके अनुसार छाती में किसी भी तरह की असुविधा या अचानक सांस लेने में कठिनाई की उपेक्षा न करें। जब भी ऐसे लक्षण दिखाई दे, तो चिकित्सक से तुरंत सम्पर्क करें। दिल की बीमारी के शीघ्र उपचार से कम से कम नुकसान होता है।
मरीजों को अपने दिल की सेहत की जांच के लिए नियमित रूप से स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना चाहिए।
इसके अलावा तला हुआ भोजन, ज्यादा नमक और शराब से परहेज करें, गर्म कपड़े पहनें और नियमित व्यायाम अथवा सुबह-शाम सैर करें। ALSO READ: दिल की बीमारी से हुई 2019 में सबसे ज्यादा मौत: WHO रिपोर्ट