एक समय था जब हार्ट फेलियर (Heart failure) को बुढ़ापे की बीमारी समझा जाता था।
लेकिन नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के फीनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन में कार्यरत विशेषज्ञ मानते है कि हार्ट फेलियर का जोखिम जवानी में ही शुरू हो जाता है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित उनकी स्टडी, हाइपरटेंशन, डायबिटीज और स्मोकिंग जैसे जोखिमों के चलते बुजुर्गों की अपेक्षा युवा और मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में हार्ट फेलियर का खतरा ज्यादा होने की संभावना बताती है।
हार्ट फेलियर की वजह से 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग अस्पताल में ज्यादा भर्ती होते है।
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यही कारण है कि चिकित्सक इसे आमतौर पर उम्र बढ़ने से संबंधित बीमारी मान लेते है। हालांकि, पिछले एक दशक में युवाओं और बड़ों में इस बीमारी के मामलों में इजाफा हुआ है।
इसका कारण जानने के लिए विशेषज्ञों ने कई विश्लेषणों के अलावा लगभग 25,000 लोगों की जांच की।
12 से अधिक वर्षों तक हुई पड़ताल में हाइपरटेंशन, डायबिटीज, स्मोकिंग आदत और पिछले हार्ट अटैक मामलों ने बुजुर्गों के मुकाबले युवाओं को ज्यादा खतरा दिखाई दिया।
विशेषज्ञ अब मानते है कि युवाओं को हार्ट फेलियर के बारे में आगाह करने के लिए उनके पास ठोस सबूत है।
“हमें उन्हें शिक्षित करने की आवश्यकता है कि वे न केवल मोटापा या डायबिटीज, बल्कि बल्कि हार्ट फेलियर के भी शिकार हो सकते है,” उन्होंने कहा।
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विशेषज्ञों के अनुसार, लाइफस्टाइल बदलाव और दवाओं के द्वारा हार्ट फेलियर के बढ़ते खतरों को रोका जा सकता है।
इन सुधारों में युवाओं और वयस्कों का मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और स्मोकिंग कम करवाना अहम है।
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