हार्ट फेलियर (heart failure) और स्ट्रोक (stroke) अब केवल अधेड़ों या बुजुर्गों के ही रोग नहीं रह गए है, बल्कि युवा भी इनकी गिरफ्त में आते जा रहे है।
यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग के खोजकर्ताओं ने 40 वर्ष से कम उम्र के युवाओं में भी मोटापे (obesity) और कम फिटनेस के चलते इन बीमारियों के मामलों में वृद्धि की बात कही है।
ऐसा साल 1971 और 1995 के बीच, स्वीडन की सैन्य सेवा में भर्ती हुए 18 साल के 1,258,432 युवाओं के आंकड़ों का विश्लेषण कर बताया गया।
उनके स्वास्थ्य की 20 वर्ष से अधिक समय तक निगरानी करने पर पता चला कि भर्ती के समय ज्यादा वजन (overweight) वालों की संख्या का अनुपात 6.6 से बढ़कर 11.2 प्रतिशत तक हो गया, जबकि मोटापे का अनुपात 1 से बढ़कर 2.6 प्रतिशत तक रहा।
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इसके अतिरिक्त, उनके फिटनेस स्तर में भी थोड़ी गिरावट देखी गई।
खोजकर्ताओं के अनुसार, अधिक वजन, मोटापा और कम फिटनेस के कारण ही हार्ट फेलियर और स्ट्रोक में बढ़ोतरी दिखाई दी।
हार्ट फेलियर के मामलों में तो यह वृद्धि 69 प्रतिशत तक हुई, जो 1971 से 1975 तक 1,000 प्रति व्यक्ति में 0.49 से बढ़कर, 1991 से 1995 तक 0.83 तक पहुंच गई।
सेरेब्रल इन्फ्रक्शन और सेरेब्रल हेमरेज जैसे स्ट्रोक के मामलों ने भी 1,000 प्रति व्यक्ति में समान बढ़त प्रवृत्ति दिखाई।
इसके विपरीत, 21 साल के भीतर दिल के दौरे में 43 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई। साथ ही, सभी तरह के हृदय रोगों से मौतों के अनुपात में भी 50 प्रतिशत की कमी आई, जो शायद धूम्रपान छोड़ने का परिणाम हो सकता है।
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जर्नल ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष बताते है कि, 18 वर्ष की आयु तक मोटापा और कम फिटनेस हृदय रोग की जल्द शुरुआत को प्रभावित करते है।
इसलिए अधिक शारीरिक गतिविधि और पौष्टिक भोजन की आदत डालना युवाओं के अति महत्वपूर्ण है।