अक्सर डॉक्टर महिलाओं में हार्ट अटैक से जुड़े सीने के दर्द को पहचान नहीं पाते, ऐसा एक रिसर्च में सामने आया।
यूरोपीयन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी (ईएससी) के एक ऑनलाइन वैज्ञानिक सम्मेलन में प्रस्तुत शोध के अनुसार, दिल के दौरे (heart attack) को वैसे भी पुरुषों का रोग माना जाता है और महिलाओं में सीने में दर्द (chest pain) को तनाव या चिंता का लक्षण मान कर गंभीरता से नहीं लिया जाता।
खुद महिलाओं और डॉक्टरों दोनों को दिल का दौरा पड़ने का कम संदेह होता है, जिससे इलाज देर से शुरू होता है जो जानलेवा हो सकता है।
अध्ययन में देखा गया कि ऐसी संभावना के चलते सीने में दर्द वाली महिलाओं को पुरुषों की तुलना में चिकित्सा सहायता के लिए 12 घंटे से अधिक प्रतीक्षा करनी पड़ी।
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इससे जुड़े सबूतों के लिए अध्ययनकर्ताओं ने छाती के दर्द वाले कुल 41,828 रोगियों के रिकॉर्ड का लगभग 11 साल तक विश्लेषण किया, जिनमें 42 फीसदी महिलाएं थीं।
उन्होंने हार्ट अटैक से जुड़े सीने में दर्द की शिकायत वाली महिलाओं को लगभग 12 घंटे बाद इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होना पाया। ऐसा 41 फीसदी महिलाओं और 37 फीसदी पुरुषों के साथ हुआ, जिनमें यह बीमारी पकड़ी नहीं गई।
चिकित्सकों के प्रारंभिक उपचार में महिलाओं की तुलना में पुरुषों के सीने में उठे दर्द का कारण तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम (acute coronary syndrome -ACS) माना गया।
93 फीसदी रोगियों में ईसीजी (ECG) जांच बीमारी को सही से पकड़ नहीं पाई। ऐसे में डॉक्टरोँ ने लिंग के अनुसार ही विश्लेषण करने के बाद 42 फीसदी मामलों में एक संभावित तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम (एसीएस) का उल्लेख किया।
लेकिन महिलाओं को एसीएस से जुड़े खतरे देखने के बावजूद हार्ट अटैक होने का काफी कम संदेह बताया गया।
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डॉक्टरों के विचार में, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में गैर-इस्केमिक समस्या (non-ischaemic problem) यानि हार्ट अटैक या आर्टरी ब्लॉक न होकर शायद वायरल इन्फेक्शन से दर्द होने की अधिक संभावना थी।
एसीएस की गलत पहचान पांच फीसदी महिलाओं और तीन फीसदी पुरुषों में हुई।
अध्ययनकर्ताओं ने इसे चिंताजनक बताया क्योंकि सीने में दर्द आर्टरी संकीर्ण होने से हृदय को कम रक्त प्रवाह (इस्किमिया) का मुख्य लक्षण है, जो हार्ट अटैक का कारण हो सकता है। उनके मुताबिक, छाती के दर्द वाले पुरुषों और महिलाओं दोनों को तत्काल चिकित्सा सहायता देनी चाहिए।
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