अवसाद (depression) एक मानसिक विकार है जो दुनियाभर में 264 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करता है। प्रभावी चिकित्सीय रणनीतियों के विकास के लिए इसके तंत्र को समझना महत्वपूर्ण है।
इंस्टीट्यूट पाश्चर, इनसेर्म और सीएनआरएस के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक अध्ययन किया जिसमें दिखाया गया कि गट बैक्टीरियल कम्युनिटी में असंतुलन कुछ मेटाबोलाइट्स (metabolites) में कमी का कारण बन सकता है, जिसके परिणामस्वरूप हमारा व्यवहार अवसादग्रस्त हो सकता है।
नेचर कम्युनिकेशन्स पत्रिका में प्रकाशित ये निष्कर्ष बताते हैं कि एक स्वस्थ पेट के माइक्रोबायोटा सामान्य मस्तिष्क कार्यप्रणाली में योगदान देते है। इस अनुसंधान से पता चला है कि मूड डिसऑर्डर और आंत के माइक्रोबायोटा को नुकसान के बीच एक घनिष्ठ संबंध होता है।
वैज्ञानिकों ने आंतों के बैक्टीरिया और एंटी-डिप्रेसेंट तौर पर इस्तेमाल किये जाने वाले मॉलिक्यूल फ्लुओक्सेटाइन (fluoxetine) की प्रभावकारिता के बीच एक सहसंबंध की पहचान की। हालाकि शोध में अवसाद को नियंत्रित करने वाले कुछ तंत्र अज्ञात रहे।
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आंतों के माइक्रोबायोटा में परिवर्तन अवसादग्रस्त व्यवहार बढ़ाता
उन्होने पशु मॉडल का उपयोग करते हुए पता लगाया है कि पुराने तनाव की वजह से होने वाले आंतों के माइक्रोबायोटा में परिवर्तन, विशेष रूप से रक्त और मस्तिष्क में लिपिड मेटाबोलाइट्स (मेटाबॉलिज्म से उत्पन्न छोटे अणु) में कमी के कारण, अवसादग्रस्त व्यवहार बढ़ा सकता है।
ये लिपिड मेटाबोलाइट्स, जिन्हें एन्डोकेनाबिनोइड्स (endocannabinoids) के रूप में जाना जाता है, शरीर में एक संचार प्रणाली को संगठित करते हैं जो मेटाबोलाइट्स में कमी से काफी हद तक बाधित होता है।
वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि हिप्पोकैम्पस (यादों और भावनाओं के निर्माण में शामिल एक प्रमुख मस्तिष्क क्षेत्र) में एन्डोकेनाबिनोइड्स की अनुपस्थिति के परिणामस्वरूप अवसाद से जुड़े व्यवहार दिखते है।
वैज्ञानिकों ने ये परिणाम मूड डिसऑर्डर (mood disorders) वाले स्वस्थ जानवरों और जानवरों के माइक्रोबायोटा का अध्ययन करके प्राप्त किए।
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बैक्टीरिया कर सकते है एंटीडिप्रेसेंट के रूप में काम
उसके बाद उन्होंने कुछ जीवाणु प्रजातियों की पहचान की जो मूड विकारों वाले जानवरों में काफी कम हो जाती है। उन्होंने उसी बैक्टीरिया को खाने में देकर उपचार किया जिसने शरीर में लिपिड डेरिवेटिव (lipid derivatives) के सामान्य स्तर को बहाल कर अवसादग्रस्त व्यवहार को कम किया।
वैज्ञानिकों ने माना है कि ये बैक्टीरिया इसलिए एक एंटीडिप्रेसेंट के रूप में काम कर सकते है। इस तरह के उपचारों को “सायकोबायॉटिक्स” (psychobiotics) के रूप में जाना जाता है।
इस विशेष मामले में, विशिष्ट बैक्टीरिया का उपयोग एक स्वस्थ माइक्रोबायोटा को बहाल करने और मूड विकारों का अधिक प्रभावी ढंग से इलाज करने में एक आशाजनक तरीका हो सकता है।
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