सॉफ्ट ड्रिंक्स, फ्रूट जूस, बियर, सोडा ज्यादा पीने से स्ट्रोक (Stroke) होने का खतरा बढ़ता है।
यह जानकारी एक विशाल स्टडी से मिली है, जिसमें 27 देशों के लगभग 27,000 लोग शामिल थे।
स्टडी में प्रतिदिन चार कप से अधिक कॉफ़ी पीने से भी स्ट्रोक पड़ने की आशंका जताई गई है।
दिमाग में खून ना पहुंच पाने से स्ट्रोक आता है। इससे दिमाग की कोशिकाएं मरने लगती है।
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नतीजों में मीठे से भरे सभी तरह के ड्रिंक्स का सेवन स्ट्रोक के 22% बढ़े हुए खतरे से जुड़ा था।
रोजाना दो या अधिक बार सॉफ्ट ड्रिंक या फ्रूट जूस पीने वालों के खतरे में तेज़ी से वृद्धि जानी गई।
हालांकि, बाजार के पैकेटबंद फ्रूट जूस की अपेक्षा ताज़े फलों के सेवन से स्ट्रोक के जोखिम में कमी पाई गई।
फ्रूट जूस ड्रिंक्स ब्लीडिंग (Intracranial hemorrhage) के कारण स्ट्रोक संभावना में 37% वृद्धि से जुड़े थे।
दिन में दो बार ऐसे ड्रिंक्स पीने वालों को स्ट्रोक पड़ने का जोखिम तीन गुना होने का अनुमान था।
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खासकर महिलाओं को फ्रूट जूस या सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने के कारण स्ट्रोक की संभावना सबसे अधिक बताई गई।
पैकेट या बोतल ड्रिंक्स के मुकाबले दिन में 7 कप से अधिक पानी पीने से थक्के (Clot) के कारण स्ट्रोक की संभावना कम थी।
रोजाना दो की अपेक्षा चार कप से अधिक कॉफी पीने से स्ट्रोक का खतरा 37% तक बढ़ने का अनुमान था।
प्रतिदिन 3 से 4 कप ब्लैक और ग्रीन टी पीने से स्ट्रोक की संभावना क्रमशः 29% और 27% कम थी।
लेकिन दूध मिलाने से चाय में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट के लाभकारी प्रभाव कम या बाधित बताए गए।
देखा गया कि चाय पीने से स्ट्रोक ना पड़ने की संभावना दूध मिली चाय पीने वालों में खत्म हो गई थी।
वैज्ञानिकों के अनुसार, स्ट्रोक का खतरा बढ़ाने में हाई बीपी को सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना गया है।
लेकिन आहार और शारीरिक गतिविधि के माध्यम से स्ट्रोक के जोखिम को कम किया जा सकता है।
स्टडी का पूरा ब्यौरा इंटरनेशनल जर्नल ऑफ स्ट्रोक और जर्नल ऑफ स्ट्रोक से मिल सकता है।
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