कोरोना संक्रमण (COVID-19 Infection) से ठीक हो चुके इंसानों को अभी भी वायरस के चंगुल से छुटकारा मिलता नजर नहीं आ रहा।
मेयो क्लिनिक के एक अध्ययन के अनुसार, बहुत से मरीजों में ठीक होने के बावजूद पोस्ट COVID-19 सिंड्रोम (post-COVID-19 syndrome), जिसे पीसीएस (PCS) भी कहा जाता है, के गहन लक्षण नजर आ रहे है।
इन लक्षणों में मूड डिसऑर्डर, थकान और मानसिक क्षमता हानि प्रमुख है, जो उनके काम पर लौटने और सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू करने की कोशिशों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे है।
अध्ययन में 45 साल के ऐसे 100 मरीजों को देखा गया जो संक्रमण के बाद हुए COVID-19 सिंड्रोम से उबरने के लिए मेयो क्लिनिक के रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम (Rehabilitation Programme) में भर्ती हुए थे।
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रोगियों में सबसे आम लक्षण थकान देखा गया।
अध्ययन में 80 फीसदी रोगियों ने असामान्य थकान की दिक्कत बताई, जबकि 59 फीसदी को सांस संबंधी शिकायतें थीं और इतनों ने ही नर्वस सिस्टम से जुड़ी परेशानियां कही।
एक तिहाई से अधिक रोगियों ने दैनिक जीवन की बुनियादी गतिविधियों को करने में कठिनाइयों की सूचना दी।
गजब तो ये था कि तीन में से केवल एक रोगी ही बिना किसी समस्या को महसूस किए काम पर लौट सका।
अध्ययन से जुड़े विशेषज्ञ हैरान थे क्योंकि अधिकांश रोगियों में संक्रमित होने से पहले तक ऐसी कोई भी सेहत संबंधित समस्या नहीं थी।
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कईयों के तो लक्षण ही हल्के थे, जिससे उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत ही नहीं हुई।
तब भी रोगियों पर महत्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव देखे गए, खासकर जब वो सामान्य दैनिक कार्यों पर लौटने की कोशिश कर रहे थे।
कई रोगियों को थकान थी तो आधे से अधिक को सोचने में परेशानी आ रही थी।
कई मरीज तो अपने सामान्य कामकाजी जीवन को कई महीनों तक फिर से शुरू नहीं कर सके।
विशेषज्ञों को डर था कि महामारी बढ़ने पर ऐसे रोगियों की संख्या में और भी इजाफा होगा, जो संक्रमण के लंबे समय बाद इस तरह की दिक्कतों का अनुभव करेंगे।
इसलिए उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं को तैयार रहने को कहा ताकि उन्हें पता हो कि क्या देखना है, और कैसे अपने मरीजों की जरूरतों को अच्छे से पूरा करना है।