NAFLD and heart failure: एक नवीन अध्ययन में विशेषज्ञों ने लिवर की एक बीमारी से हार्ट फेलियर का रिस्क बताया है।
नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (Non-alcoholic fatty liver disease – NAFLD) नामक यह बीमारी लिवर में फैट जमा होने से पैदा होती है।
उपचार न होने पर पीड़ित रोगी को अगले दस साल में हार्ट फेलियर का ख़तरा बताया गया है।
इटली की मेडिकल संस्थाओं के विशेषज्ञों को यह जानकारी 11 अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण से मिली, जिसे हाल ही में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की गट पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
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विश्लेषण के दौरान, एक करोड़ 10 लाख से अधिक 50 वर्षीय पुरुषों और महिलाओं में NAFLD और हार्ट फेलियर के संभावित संबंधों को देखा गया।
बता दें कि दुनिया भर में NAFLD से लगभग 30% वयस्क प्रभावित है। अधिक वजन और मोटापे संबंधी मामले बढ़ने के कारण अगले दस सालों में इसके रोगी अधिक होने की उम्मीद है।
हाल ही में प्रकाशित कई रिसर्च ने भी NAFLD को हार्ट फेलियर के विकास का जिम्मेदार बताया है। दरअसल, हार्ट फेलियर में दिल शरीर को पर्याप्त मात्रा में खून पंप नहीं कर पाता है।
नवीन अध्ययन में, NAFLD से हार्ट फेलियर विकास का ख़तरा 50% बढ़ा हुआ मिला। अत्यधिक गंभीर NAFLD में तो यह ख़तरा 76% से भी ज़्यादा था।
हालांकि, NAFLD से हार्ट फेलियर का जोखिम कैसे बढ़ा, इस बारे में स्पष्ट नहीं हो सका। लेकिन विशेषज्ञों ने NAFLD से शरीर में इंसुलिन ख़राबी, प्लाक निर्माण, इन्फ़्लेमेशन और खून गाढ़ा करने जैसे दुष्प्रभावों की आशंका जताई।
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समस्याओं से बचने के लिए उन्होंने NAFLD मरीज़ों को सावधानीपूर्वक नियमित उपचार और हार्ट चेकअप करवाते रहने की सलाह दी।