भारतीयों में बढ़ते जीवन काल और उच्च मधुमेह (High Diabetes) के चलते आँखों से संबंधित मुद्दों (Eyesight Diseases) की वृद्धि हुई है।
दो अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा जारी किए गए नए आंकड़ों के अनुसार, भारत में निकट दृष्टि में कमी (Near Vision Loss) के मामले दोगुने से अधिक हो गए हैं।
विज़न लॉस एक्सपर्ट ग्रुप (Vision Loss Expert Group) और इंटरनेशनल एजेंसी फॉर प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस (The International Agency for the Prevention of Blindness) ने पाया की दुनिया में निकट दृष्टि में कमी के 50 करोड़ 70 लाख मामले मिले, जिसमें भारत में 13 करोड़ से ज्यादा दर्ज किए गए।
निकट दृष्टि में कमी का मतलब आस-पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता है।
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आंकड़ों से यह भी पता चला कि भारत में मध्यम और गंभीर दृश्य हानि (Moderate to Severe Visual Impairment – MSVI) के मामले 1990 में 4 करोड़ से बढ़कर 2020 में 7.9 करोड़ हो गए।
विशेषज्ञों ने एमएसवीआई (MSVI) का एक प्रमुख कारण डायबिटीज बताया है।
आईएपीबी के नवीनतम सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में 6 में से 1 डायबिटीज वाले रेटिनोपैथी से पीड़ित है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy), मोतियाबिंद (Cataract), ग्लूकोमा (Glaucoma) और कुछ कॉर्नियल (Corneal) स्थितियों के कारण अंधापन हो सकता है।
ये कारण भारत के सभी MSVI मामलों का लगभग 65 फीसदी हिस्सा है।
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विशेषज्ञों ने कहा कि दृष्टि समस्याओं में वृद्धि के पीछे एक और कारण भारतीयों की बढ़ी हुई उम्र है।
लांसेट में हाल ही के एक पेपर में पाया गया था कि भारत की औसत आयु 1990 में 59 साल थी। साल 2019 में यह बढ़कर 70 साल हो गई थी।
नए सर्वेक्षण में 78 फीसदी नेत्रहीन 50 साल से अधिक उम्र के मिले।
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