Extreme Temperatures and Stroke Mortality: तापमान में वृद्धि से कई स्वास्थ्य समस्याएं होने के कारण इंसानों में अधिक मौत का खतरा बढ़ रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की नई स्टडी ने अत्यधिक गर्मी और ठंड दोनों में स्ट्रोक (ischemic and hemorrhagic stroke) से लोगों की ज़्यादा मौतें बताई है।
बढ़ते जलवायु परिवर्तन (Climate change) से जानलेवा हुआ तापमान गरीब देशों की आबादी के लिए अधिक नुकसानदेह होगा।
नतीजों में स्ट्रोक से साउथ एशिया, अफ्रीका और मिडिल ईस्ट की आबादी को संपन्न देशों की अपेक्षा मौत का अधिक खतरा पाया गया।
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यह स्टडी हाल ही में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मेडिकल जर्नल स्ट्रोक में प्रकाशित हुई है।
विशेषज्ञों ने बढ़ते तापमान से विकासशील देशों में घातक स्ट्रोक और स्ट्रोक मृत्यु दर में तेजी का अनुमान लगाया है।
ताज़ा जानकारी के लिए उन्होंने 25 देशों के 522 शहरों में रहने वालों का हेल्थ डेटाबेस जांचा था।
डेटाबेस में वर्ष 1979-2019 के बीच, 3.4 मिलियन से अधिक इस्केमिक स्ट्रोक और 2.4 मिलियन से अधिक हेमोरेजिक स्ट्रोक से मौतें दर्ज थी।
स्टडी में प्रत्येक 1,000 इस्केमिक या हेमोरेजिक स्ट्रोक से होने वाली मौतों में से लगभग 11 अत्यधिक ठंडे या गर्म दिनों के कारण हुई थी।
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उन 11 मौतों में से सबसे ठंडे और गर्म 2.5% दिनों से क्रमशः 9.1 और 2.2 अतिरिक्त मौते हुई थी।
विकासशील देशों में विकसित देशों की अपेक्षा अत्यधिक गर्मी और ठंड से संबंधित हेमोरेजिक स्ट्रोक की मृत्यु दर अधिक मिली।
विकसित देशों में अधिक मौतों के पीछे खराब तापमान नियंत्रण प्रणाली, ज़्यादा बाहरी काम, पिछड़ा हेल्थकेयर सिस्टम आदि कारण देखे गए।
क्योंकि जलवायु परिवर्तन से तापमान में वृद्धि जारी है, इसलिए विकसित देशों को स्ट्रोक मृत्यु दर घटाने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।
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